Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Nov 2022 · 1 min read

उजालों के घर

ऐसा क्यों होता है जब
अपने रूठ जाते हैं
आँखें रोती हैं और
दिल टूट जाते हैं।

इतराते हैं शूल यहाँ
फूल टूट जाते हैं
अपरिमित प्रेम के अग्र
स्वार्थ जीत जाते हैं

घोर अमावस चारों ओर
उजालों के घर पहरे
शकुनि की बिसातों से
छलनी पड़े सब चेहरे।

गांडीव रख दे अर्जुन
मूंद लें सब नेत्र वीर
कहो, कौन्तेय! देख सब
सूखे क्यों हैं तेरे नीर।

ऐसा क्यों होता है जब
प्रश्न ही यक्ष हो जायें
कह न सकें हम कुछ भी
उत्तर प्रश्न ही बन जायें।।

सूर्यकांत

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 53 Views

Books from सूर्यकांत द्विवेदी

You may also like:
संगीत
संगीत
Surjeet Kumar
# निनाद .....
# निनाद .....
Chinta netam " मन "
कहे तो क्या कहे कबीर
कहे तो क्या कहे कबीर
Shekhar Chandra Mitra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shilpi Singh
हर दिन नया
हर दिन नया
Dr fauzia Naseem shad
✍️अरमानों की ख्वाईश
✍️अरमानों की ख्वाईश
'अशांत' शेखर
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
श्याम सिंह बिष्ट
भाई हो तो कृष्णा जैसा
भाई हो तो कृष्णा जैसा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गीत गा रहा फागुन
गीत गा रहा फागुन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
खालीपन
खालीपन
जय लगन कुमार हैप्पी
बेटियों तुम्हें करना होगा प्रश्न
बेटियों तुम्हें करना होगा प्रश्न
rkchaudhary2012
तन्हाई के पर्दे पर
तन्हाई के पर्दे पर
Surinder blackpen
दुर्गा मां से प्रार्थना
दुर्गा मां से प्रार्थना
Dr.sima
पारो
पारो
Acharya Rama Nand Mandal
#पंजाबनगर_शिव_मंदिर
#पंजाबनगर_शिव_मंदिर
Ravi Prakash
तुझे क्या कहूँ
तुझे क्या कहूँ
Pakhi Jain
सिंदूर की एक चुटकी
सिंदूर की एक चुटकी
डी. के. निवातिया
मैं हिन्दुस्तान हूं।
मैं हिन्दुस्तान हूं।
Taj Mohammad
💐अज्ञात के प्रति-138💐
💐अज्ञात के प्रति-138💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कर रहे शुभकामना...
कर रहे शुभकामना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मानव इतिहास के महानतम् मार्शल आर्टिस्टों में से एक
मानव इतिहास के महानतम् मार्शल आर्टिस्टों में से एक "Bruce...
Pravesh Shinde
घर घर तिरंगा हो।
घर घर तिरंगा हो।
Rajesh Kumar Arjun
"मेरा भोला बाबा"
Dr Meenu Poonia
खुशी का नया साल
खुशी का नया साल
shabina. Naaz
नीति अनैतिकता को देखा तो,
नीति अनैतिकता को देखा तो,
Er.Navaneet R Shandily
■ चौराहे पर जीवन
■ चौराहे पर जीवन
*Author प्रणय प्रभात*
हे!महादेव है नमन तुम्हें,
हे!महादेव है नमन तुम्हें,
Satish Srijan
रहस्यमय तहखाना - कहानी
रहस्यमय तहखाना - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हर किसी के पास हो घर
हर किसी के पास हो घर
gurudeenverma198
शायद ऐसा भ्रम हो
शायद ऐसा भ्रम हो
Rohit yadav
Loading...