इस मुद्दे पर ना खुलवाओ मुंह मेरा

इस मुद्दे पर ना खुलवाओ मुंह मेरा
अच्छा होगा मुझे मौन ही रहने दो
नहीं दिखाए जाते अपनों के खंजर
आहिस्ता आहिस्ता इनको सहने दो
कवि दीपक सरल
इस मुद्दे पर ना खुलवाओ मुंह मेरा
अच्छा होगा मुझे मौन ही रहने दो
नहीं दिखाए जाते अपनों के खंजर
आहिस्ता आहिस्ता इनको सहने दो
कवि दीपक सरल