इबादत
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कुछ गुज़र गई, कुछ गुज़र जाएगी
ये जिंदगी पल पल यूं ही निकल जायेगी
वो साथ है,जो दुनिया है मेरी,
उनके साथ ही जिंदगी संवर जाएगी।
हमारे दरमियां खामोश दरिया बहता है
शब्दों के पर्वत से भी शांति से बह जायेगी
तूफानों से डर अब इसे नही लगता
डर के समंदर से भी कश्ती अपनी निकल जायेगी
उसकी रहमतों का तहेदिल से शुक्रिया है
वो खुदा है मेरा उसकी इबादत से तसल्ली सी मिल जायेगी।