आस्था और भक्ति की तुलना बेकार है ।
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/69843666ca4df34ab47d631381714556_7037310a71b967902b57e60d3d52f6b0_600.jpg)
आस्था और भक्ति की तुलना बेकार है ।
इस रस का स्वाद घंटियों के कोलाहल , मंत्रों के उच्चारण , धर्म ग्रंथों के पठन और एकांत की एकाग्रता में सर्वथा एक समान ही है ।
” वस्तुतः पहुँचना तो हमें ईश्वर तक ही होता है ।”
सीमा वर्मा
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏