कवि आदि विद्यापति नाई।
कवि आदि विद्यापति नाई।
-आचार्य रामानंद मंडल
कवि आदि विद्यापति नाई।
जनमल मधुबनी विस्पी ठाई।१।
दसम शताब्दी काल आईं।
मिथिला नाउं विद्यापति पाईं।२।
पिता महेशठाकुर घर आईं।
कुल भूषण नाई कहलाई।३।
नित नव कविता बनाईं।
नित विदापत नाच कराईं।४।
समाज में नवजागरन कराईं।
जोतिश्वर वर्नरत्नाकर चर्चा करईं।५।
मिथिला मे विद्यापतिगीत गाईं।
भेद न जान विद्यापति पाईं।६।
मैथिल चर्चा न करईं।
बाभन विद्यापति के समझईं।७।
मिथिला मैथिली जागरन होंहईं।
घर घर विद्यापति गाईं।८।
मिथिला धन धन होंहईं।
रामा आदिविद्यापति चर्चा करईं ।९।
स्वरचित @रचनाकाराधीन।
रचनाकार -आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।