अपनी मनमानियां _ कब तक करोगे ।
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अपनी मनमानियां _
कब तक करोगे ।
सच्चाइयों से दोस्त _
कब तक डरोगे।।
झूठं के भरोसे जिंदगी _
चलती नही ज्यादा ।
उमरिया लम्बी हो सच्चाई_
कब तक भरोगे।।
राजेश व्यास “अनुनय “
अपनी मनमानियां _
कब तक करोगे ।
सच्चाइयों से दोस्त _
कब तक डरोगे।।
झूठं के भरोसे जिंदगी _
चलती नही ज्यादा ।
उमरिया लम्बी हो सच्चाई_
कब तक भरोगे।।
राजेश व्यास “अनुनय “