Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2021 · 2 min read

अन्नदाता,तू परेशान क्यों है…?

अन्नदाता,तू परेशान क्यों है…?

जिसने तुम्हारे खून पसीने की कमाई,
सदा ही मिल बांट कर खाई,
तेरे मेहनत की कमाई से,
अपनी महलें है बनवाई ।
समझो तो सही,वो आढ़तिया ही !
भला तुझ पर मेहरबान क्यों हैं..?

अन्नदाता, तू परेशान क्यों है…?

कौड़ी के मोल फसल बेच,
सूली पर चढ़ जाते थे किसान।
अब उन्हें ही पंख फैलाकर ,
अपने सपनों की उड़ान पूरी करने में,
इतनी घबराहट क्यों है ?
अब तो सामने खुला आसमान है ।

फिर भी अन्नदाता, तू परेशान क्यों है…?

याद कर तू अतीत को,
जब इन गिद्धों की टोली द्वारा,
कहा जाता था कि ,
किसान अपनी फसलों को ,
औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर क्यों है?
इन्हें तो खुला आसमान चाहिए ,
अब वो ही अपनें लफ़्ज़ों पे बेईमान क्यों है…?

अन्नदाता, तू परेशान क्यों है…?

फसल उपजाना मन से ,
पर दूर रहना कपटी राजनीतिज्ञों और जयचंदों से।
संविदा खेती तो कोई ,
अनिवार्य शर्त नहीं है सबके लिए।
न्युनतम समर्थन मुल्य ,
कभी खत्म नहीं होनेवाली ।
इन सब बातों को जानते हुए भी तू अनजान क्यों है ?

अन्नदाता, तू परेशान क्यों है…?

कुटिल राजनीतिज्ञों के झांसे में मत आना ..!
वो तो हैवान है ।
सोच तू जरा…
जो करते सदा स्वार्थ की खेती ,
उन्हें फसलों की खेती से क्या मतलब ।
वो भला तेरे लिए दे रहे बलिदान क्यों हैं… ?

अन्नदाता, तू परेशान क्यों है…?

देश तोड़ने वालों अराजक तत्त्वों से मिलकर ,
राहगीरों का सर डंडे से कुचलने वाले ,
भिंडरावाला के चित्रोंवाले टीशर्ट पहन ,
सड़कों पर आतंक मचाने वाले ,
किसान तो नहीं हो सकते ।
ये सब जानते हुए भी सारा देश हैरान क्यों है…?

अन्नदाता, तू परेशान क्यों है…?

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०५ /१०/२०२१
मोबाइल न. – 8757227201

Language: Hindi
6 Likes · 8 Comments · 1396 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"प्रत्युत्पन्न मति"
*Author प्रणय प्रभात*
3-“ये प्रेम कोई बाधा तो नहीं “
3-“ये प्रेम कोई बाधा तो नहीं “
Dilip Kumar
शांत मन भाव से बैठा हुआ है बावरिया
शांत मन भाव से बैठा हुआ है बावरिया
Buddha Prakash
रोजी न रोटी, हैं जीने के लाले।
रोजी न रोटी, हैं जीने के लाले।
सत्य कुमार प्रेमी
💐प्रेम कौतुक-307💐
💐प्रेम कौतुक-307💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
****प्राणप्रिया****
****प्राणप्रिया****
Awadhesh Kumar Singh
जीवन है पीड़ा, क्यों द्रवित हो
जीवन है पीड़ा, क्यों द्रवित हो
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गीत - प्रेम असिंचित जीवन के
गीत - प्रेम असिंचित जीवन के
Shivkumar Bilagrami
कृषि पर्व वैशाखी....
कृषि पर्व वैशाखी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
"आंखरी ख़त"
Lohit Tamta
Arj Kiya Hai...
Arj Kiya Hai...
Nitesh Kumar Srivastava
रंगे अमन
रंगे अमन
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बचपन की यादों को यारो मत भुलना
बचपन की यादों को यारो मत भुलना
Ram Krishan Rastogi
मीठी नींद नहीं सोना
मीठी नींद नहीं सोना
Dr. Meenakshi Sharma
जे सतावेला अपना माई-बाप के
जे सतावेला अपना माई-बाप के
Shekhar Chandra Mitra
इस टूटे हुए दिल को जोड़ने की   कोशिश मत करना
इस टूटे हुए दिल को जोड़ने की कोशिश मत करना
Anand.sharma
प्यार हो जाय तो तकदीर बना देता है।
प्यार हो जाय तो तकदीर बना देता है।
Satish Srijan
फक़त हर पल दूसरों को ही,
फक़त हर पल दूसरों को ही,
Aksharjeet Ingole
कविता का जन्म
कविता का जन्म
Dr. Rajiv
हारिये न हिम्मत तब तक....
हारिये न हिम्मत तब तक....
कृष्ण मलिक अम्बाला
महंगाई का दंश
महंगाई का दंश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
अहिल्या
अहिल्या
Dr.Priya Soni Khare
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
हमको तंहाई का
हमको तंहाई का
Dr fauzia Naseem shad
रिश्तों की मर्यादा
रिश्तों की मर्यादा
Rajni kapoor
वीर हनुमान
वीर हनुमान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
समय देकर तो देखो
समय देकर तो देखो
Shriyansh Gupta
तेरे संग ये जिंदगी बिताने का इरादा था।
तेरे संग ये जिंदगी बिताने का इरादा था।
Surinder blackpen
मेरा हाल कैसे किसी को बताउगा, हर महीने रोटी घर बदल बदल कर खा
मेरा हाल कैसे किसी को बताउगा, हर महीने रोटी घर बदल बदल कर खा
Anil chobisa
Loading...