अंजाम
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हर मिलन का अंजाम जुदाई क्यो है ?
अब तो हर वक्त यही बात सताती है हमे!!
दिल मे लाखो ज़ज्बात मचलते रहते है,
जाने कौन सी बात,सारी रात जगाती है हमे!!
मिलने पर कैसे इन बातो का इज़हार करू,
सोचते-सोचते ही, यही बात रुलाती है हमे!!
उनका प्यारा सा चैहरा , और प्यारी बाते,
सिरहन सी मचाके,सारी रात जगाती है हमे!!
याद मे उनकी सारी रात जगे ,तो क्या?
आज भी जाग सकू, यही बात सताती है हमे!!
मेरे हँसने का अंजाम रुलाई ही क्यो है?
अब तो हर वक्त, यही बात रुलाती है हमे!!
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट,कवि,पत्रकार
202नीरव निकुजं,फेस-2,सिकंदरा,आगरा-282007
मो:9412443093