Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jun 2022 · 1 min read

भ्राता – भ्राता

भ्राता की ग्रीवा कटतीं ,
भ्राता के कृपाणों से ,
भ्राता की जान मुरीदीं ,
भ्राता के नजरानों से।

आलय का गुप्तचर आलय ढ़ाये ,
रावण और विभीषण द्वय भ्राता
अधर्मी और धर्मी को दर्शाता है
विभीषण अधर्म का मेल छोड़ ,
धर्म का मेल निर्माया था।

तीनों लोक का अदितिनंदन ,
महारथी पराक्रमी दैत्येन्द्र था ,
इसके पुरुषार्थ के अभिमुख ,
रघुनाथ तुनक प्राणी – सा था।

दैत्येन्द्र संग्राम में पराभूत हुआ ,
क्योंकि भ्राता ने मेल छोड़ा था ,
रघुनाथ संग्राम में विजय हुआ ,
क्योंकि भाई ने मेल निर्माया था।

लंकापति संग्राम में पराभूत हुआ ,
इसके पास भार्या की अभिशाप थी ,
दशरथनन्दन संग्राम में विजय हुआ ,
इसके पास भार्या की प्रभुत्व थी।

हे दशरथनन्दन ! तू कृतार्थ है ,
जिन्हें मिला भरत – सा भ्राता ,
अयोध्या की तख्त को ठुकरा ,
भ्राता का निकटता चुना वह।

राजप्रासाद में रहकर भी ,
सीतापति के तुल्य भरत ,
चौदह वर्ष तक सहजात भी ,
वन – सा जीवन गुजारा था।

जग में जिसको मिलता भ्राता ,
बड़ा भाग्यशाली होता है वह ,
जिस भ्राता में भरत का अंश न हो,
तो भ्राता न होना ही भाग्यशाली है।

लेखक :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

Language: Hindi
2 Likes · 582 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ज़िंदगी को जीना है तो याद रख,
ज़िंदगी को जीना है तो याद रख,
Vandna Thakur
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जन कल्याण कारिणी
जन कल्याण कारिणी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
प्रार्थना
प्रार्थना
Dr.Pratibha Prakash
दाम रिश्तों के
दाम रिश्तों के
Dr fauzia Naseem shad
शादी
शादी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
धन तो विष की बेल है, तन मिट्टी का ढेर ।
धन तो विष की बेल है, तन मिट्टी का ढेर ।
sushil sarna
"मिर्च"
Dr. Kishan tandon kranti
शॉल (Shawl)
शॉल (Shawl)
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
पैसा ना जाए साथ तेरे
पैसा ना जाए साथ तेरे
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
⚘️🌾Movement my botany⚘️🌾
⚘️🌾Movement my botany⚘️🌾
Ms.Ankit Halke jha
💐प्रेम कौतुक-559💐
💐प्रेम कौतुक-559💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
#एक_शेर
#एक_शेर
*Author प्रणय प्रभात*
पतंग
पतंग
अलका 'भारती'
फ़र्क
फ़र्क
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
जरूरी तो नहीं
जरूरी तो नहीं
Madhavi Srivastava
मायड़ भौम रो सुख
मायड़ भौम रो सुख
लक्की सिंह चौहान
दोस्ती....
दोस्ती....
Harminder Kaur
वक्त कितना भी बुरा हो,
वक्त कितना भी बुरा हो,
Dr. Man Mohan Krishna
इक ग़ज़ल जैसा गुनगुनाते हैं
इक ग़ज़ल जैसा गुनगुनाते हैं
Shweta Soni
* पत्ते झड़ते जा रहे *
* पत्ते झड़ते जा रहे *
surenderpal vaidya
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
*** रेत समंदर के....!!! ***
*** रेत समंदर के....!!! ***
VEDANTA PATEL
खेल-खेल में सीखो 【बाल कविता 】
खेल-खेल में सीखो 【बाल कविता 】
Ravi Prakash
तेरी मिट्टी के लिए अपने कुएँ से पानी बहाया है
तेरी मिट्टी के लिए अपने कुएँ से पानी बहाया है
'अशांत' शेखर
23/160.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/160.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मिताइ।
मिताइ।
Acharya Rama Nand Mandal
उसको ख़ुद से ही ये गिला होगा ।
उसको ख़ुद से ही ये गिला होगा ।
Neelam Sharma
*हिंदी दिवस*
*हिंदी दिवस*
Atul Mishra
Loading...