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1 Oct 2021 · 1 min read

” जीवित जानवर “

जीभ मुझे भी दी है भगवान ने
क्या हुआ जो बोलता नहीं हूं
भावनाएं तो बसी हैं मुझमें भी
मैं जानवर भी सजीव ही हूं,
पेट भरता हूं माना रूखे सूखे से
लेकिन, तुझ नर जैसे देखता तो हूं
आशियाना सिर पर नहीं है मेरे
हूं मैं जानवर लेकिन, जीवित तो हूं,
माना खूंटे से मैं बंधा हुआ, लेकिन
अहसास दर्द का महसूस करता तो हूं
पीड़ा मेरी मीनू तूं भी ना समझे
तुझ जैसे बच्चों को जन्म देता तो हूं,
चोट लगे तब बयां नहीं कर पाता
लेकिन, कष्ट में कराहता तो हूं
निज तरीके से समझाने का प्रयास करता
नर नहीं हूं मैं जानवर ही तो हूं।

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 761 Views
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