Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Sep 2017 · 1 min read

२१२२–१२१२–२२
अर गया कब का

आंख से तो उतर गया कब का
जख्म सीने का भर गया कब का

टूटकर दिल को अब समझ आया
खेल वो खेलकर गया कब का

जाने ये दिल भी आ गया किसपर
दिल ही लेकर मुकर गया कब का

सांझ का इक दिया मेरे घर का
आंसुओ से वो भर गया कब का

फूल इक आस का लगाया था
शाख से वो भी झर गया कब का

2 Likes · 355 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वो ख्यालों में भी दिल में उतर जाएगा।
वो ख्यालों में भी दिल में उतर जाएगा।
Phool gufran
"समय"
Dr. Kishan tandon kranti
"प्रेम"
शेखर सिंह
*भाया राधा को सहज, सुंदर शोभित मोर (कुंडलिया)*
*भाया राधा को सहज, सुंदर शोभित मोर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
🪸 *मजलूम* 🪸
🪸 *मजलूम* 🪸
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
तेरे होने का जिसमें किस्सा है
तेरे होने का जिसमें किस्सा है
shri rahi Kabeer
जरूरी है
जरूरी है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जिंदगी तेरे सफर में क्या-कुछ ना रह गया
जिंदगी तेरे सफर में क्या-कुछ ना रह गया
VINOD CHAUHAN
प्रणय 10
प्रणय 10
Ankita Patel
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
👌काहे का डर...?👌
👌काहे का डर...?👌
*Author प्रणय प्रभात*
हिन्दी दोहा बिषय-चरित्र
हिन्दी दोहा बिषय-चरित्र
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*सावन में अब की बार
*सावन में अब की बार
Poonam Matia
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
💐प्रेम कौतुक-441💐
💐प्रेम कौतुक-441💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कविता - छत्रछाया
कविता - छत्रछाया
Vibha Jain
हां मैं इक तरफ खड़ा हूं, दिल में कोई कश्मकश नहीं है।
हां मैं इक तरफ खड़ा हूं, दिल में कोई कश्मकश नहीं है।
Sanjay ' शून्य'
मेरे दिल में मोहब्बत आज भी है
मेरे दिल में मोहब्बत आज भी है
कवि दीपक बवेजा
पल भर कि मुलाकात
पल भर कि मुलाकात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
#शीर्षक:-बहकाना
#शीर्षक:-बहकाना
Pratibha Pandey
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
Shyam Sundar Subramanian
"बोलती आँखें"
पंकज कुमार कर्ण
प्यासे को
प्यासे को
Santosh Shrivastava
एक आज़ाद परिंदा
एक आज़ाद परिंदा
Shekhar Chandra Mitra
मुझे फर्क पड़ता है।
मुझे फर्क पड़ता है।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
है जरूरी हो रहे
है जरूरी हो रहे
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
मेरा प्रेम पत्र
मेरा प्रेम पत्र
डी. के. निवातिया
देख रही हूँ जी भर कर अंधेरे को
देख रही हूँ जी भर कर अंधेरे को
ruby kumari
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
Loading...