Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2017 · 1 min read

संकट में है मातृभूमि घिरी

उरी_के_अमर_शहीदों_को_अश्रुपूरित_श्रृद्धांजली_____
????????_
संकट में है मातृभूमि घिरी,
फिर सिर पर घटा अँधेरी।
सिंह सपूतों गरज पड़ो,
फिर बज उठी रणभेरी।

उठो नरेन्द्र गर्जना करो,
चीर दो दुश्मन की छाती।
प्रचंड प्रल्यंकर हुंकार भरो,
फूक दो बिगुल निर्णायक युद्ध की।

बहुत हुआ अब , हृदय में
धधक उठी गुस्से की ज्वालामुखी।
चुन-चुन कर संहार करो,
उठो अर्जुन तान गांडीव की डोरी।

अपने हर एक लाल की ,
हिसाब मांग रही है माँ भारती।
सीना फाड़ कुचल डालो ,
शत्रु देख ना पाये सूरज कल की ।

कूचल डालो ,नेस्ततनाबूत करो,
हर चाल कपटी की आत्मघाती।
क्रूरता से संहार करो,
अमन -चैन छिना है सबकी ।
??????
शत-शत नमन —लक्ष्मी सिंह

?कुर्बानी व्यर्थ न जायेगी?

?यलग़ार?हो—

?जय हिंद?

Language: Hindi
392 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-220💐
💐प्रेम कौतुक-220💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शिक्षक हमारे देश के
शिक्षक हमारे देश के
Bhaurao Mahant
सांप्रदायिक उन्माद
सांप्रदायिक उन्माद
Shekhar Chandra Mitra
हम वो हिंदुस्तानी है,
हम वो हिंदुस्तानी है,
भवेश
अब कुछ बचा नहीं बिकने को बाजार में
अब कुछ बचा नहीं बिकने को बाजार में
Ashish shukla
गुरुकुल स्थापित हों अगर,
गुरुकुल स्थापित हों अगर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गिला,रंजिशे नाराजगी, होश मैं सब रखते है ,
गिला,रंजिशे नाराजगी, होश मैं सब रखते है ,
गुप्तरत्न
मैं मांझी सा जिद्दी हूं
मैं मांझी सा जिद्दी हूं
AMRESH KUMAR VERMA
"आत्मावलोकन"
Dr. Kishan tandon kranti
कतौता
कतौता
डॉ० रोहित कौशिक
जब अपने ही कदम उलझने लगे अपने पैरो में
जब अपने ही कदम उलझने लगे अपने पैरो में
'अशांत' शेखर
एक इश्क में डूबी हुई लड़की कभी भी अपने आशिक दीवाने लड़के को
एक इश्क में डूबी हुई लड़की कभी भी अपने आशिक दीवाने लड़के को
Rj Anand Prajapati
देने तो आया था मैं उसको कान का झुमका,
देने तो आया था मैं उसको कान का झुमका,
Vishal babu (vishu)
मिटे क्लेश,संताप दहन हो ,लगे खुशियों का अंबार।
मिटे क्लेश,संताप दहन हो ,लगे खुशियों का अंबार।
Neelam Sharma
तालाश
तालाश
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
■ आज का मुक्तक...
■ आज का मुक्तक...
*Author प्रणय प्रभात*
*दाता माता ज्ञान की, तुमको कोटि प्रणाम ( कुंडलिया )*
*दाता माता ज्ञान की, तुमको कोटि प्रणाम ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
"राबता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मरीचिका सी जिन्दगी,
मरीचिका सी जिन्दगी,
sushil sarna
डोरी बाँधे  प्रीति की, मन में भर विश्वास ।
डोरी बाँधे प्रीति की, मन में भर विश्वास ।
Mahendra Narayan
‘ विरोधरस ‘---11. || विरोध-रस का आलंबनगत संचारी भाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---11. || विरोध-रस का आलंबनगत संचारी भाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
खाक मुझको भी होना है
खाक मुझको भी होना है
VINOD CHAUHAN
ज़िन्दगी वो युद्ध है,
ज़िन्दगी वो युद्ध है,
Saransh Singh 'Priyam'
23/187.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/187.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यादों को कहाँ छोड़ सकते हैं,समय चलता रहता है,यादें मन में रह
यादों को कहाँ छोड़ सकते हैं,समय चलता रहता है,यादें मन में रह
Meera Thakur
शायद यह सोचने लायक है...
शायद यह सोचने लायक है...
पूर्वार्थ
धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
Dr MusafiR BaithA
आज देव दीपावली...
आज देव दीपावली...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मनुष्य की महत्ता
मनुष्य की महत्ता
ओंकार मिश्र
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
कवि दीपक बवेजा
Loading...