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31 Aug 2017 · 1 min read

याद जब आती है

## # गज़ल ###

बारिशों की बूंदें यूंँ मायूस बनाती हैं मुझे।
ठंडी पुरवाई तेरी यादें दिलाती हैं मुझे।

काली घटाओं के ऊपर तो बस नहीं मेरा
तेरी जुल्फों का ये एहसास कराती हैं मुझे।

बहती हवाओं के ऊपर तो नहीं बस मेरा
तेरे आंँचल की तरहा छू छू के जाती हैं मुझे।

दूर पर्वतों से वो अठखेलियाँ करती बदरी
झूठे वादों की तेरे याद दिलाती हैं मुझे ।

सावन को देख के छाती है उदासी मन में
ये उदासियां भी क्यों बेचैन बनाती हैं मुझे।

——-रंजना माथुर दिनांक 07/07/2017
स्व रचित व मौलिक रचना
@ copyright

201 Views
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