Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Apr 2017 · 1 min read

मेरी कलम से …..

१.उसका दिल, दिल नहीं, रेत का मैदान निकला।
कई बार लिखा नाम अपना,हर बार मिटा देती हैं॥

२.मुझें तैरना नहीं आता और उसे डूबना…।
मोहब्बत में इरादो का, मगर मिलना जरुरी है॥

३.बहुत गुमान था उसे अपने पत्थर दिल होने का।
मैं उसी पत्थर पर अपना नाम लिख आया हूँ॥

४.तुझें जहाँ जाना है, चली जा… तेरी मर्जी।
मगर लौट कर, जिन्दगी में तुझें जगह दूँगा, मुझसे उम्मीद मत करना॥

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 826 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ये काले बादलों से जैसे, आती रात क्या
ये काले बादलों से जैसे, आती रात क्या
Ravi Prakash
गज़रा
गज़रा
Alok Saxena
********* बुद्धि  शुद्धि  के दोहे *********
********* बुद्धि शुद्धि के दोहे *********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
3354.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3354.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
ऐ भाई - दीपक नीलपदम्
ऐ भाई - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
साहस है तो !
साहस है तो !
Ramswaroop Dinkar
अध्यापक दिवस
अध्यापक दिवस
SATPAL CHAUHAN
भेद नहीं ये प्रकृति करती
भेद नहीं ये प्रकृति करती
Buddha Prakash
पेट भरता नहीं है बातों से
पेट भरता नहीं है बातों से
Dr fauzia Naseem shad
"खाली हाथ"
Er. Sanjay Shrivastava
कोरे कागज़ पर लिखें अक्षर,
कोरे कागज़ पर लिखें अक्षर,
अनिल अहिरवार"अबीर"
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जज्बात
जज्बात
अखिलेश 'अखिल'
"अग्निस्नान"
Dr. Kishan tandon kranti
श्री राम जी अलौकिक रूप
श्री राम जी अलौकिक रूप
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
Neelam Sharma
तुम
तुम
हिमांशु Kulshrestha
धूमिल होती पत्रकारिता
धूमिल होती पत्रकारिता
अरशद रसूल बदायूंनी
बेटियाँ
बेटियाँ
Mamta Rani
एक समझदार व्यक्ति द्वारा रिश्तों के निर्वहन में अचानक शिथिल
एक समझदार व्यक्ति द्वारा रिश्तों के निर्वहन में अचानक शिथिल
Paras Nath Jha
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
“ज़िंदगी अगर किताब होती”
“ज़िंदगी अगर किताब होती”
पंकज कुमार कर्ण
नया
नया
Neeraj Agarwal
सृष्टि की अभिदृष्टि कैसी?
सृष्टि की अभिदृष्टि कैसी?
AJAY AMITABH SUMAN
जाति-धर्म
जाति-धर्म
लक्ष्मी सिंह
National YOUTH Day
National YOUTH Day
Tushar Jagawat
आफ़त
आफ़त
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
बुंदेली दोहा- गरे गौ (भाग-1)
बुंदेली दोहा- गरे गौ (भाग-1)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
Anil chobisa
दायरे से बाहर (आज़ाद गज़लें)
दायरे से बाहर (आज़ाद गज़लें)
AJAY PRASAD
Loading...