Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2016 · 2 min read

माँ की संदूकची —–कविता

माँ की संदूकची

माँ तेरी सीख की संदूकची,

कितना कुछ होता था इस मे

तेरे आँचल की छाँव की कुछ कतलियाँ

ममता से भरी कुछ किरणे

दुख दर्द के दिनों मे जीने का सहारा

धूप के कुछ टुकडे,जो देते

कडी सीख ,जीवन के लिये

कुछ जरूरी नियम

तेरे हाथ से बुनी

सीख की एक रेशम की डोरी

जो सिखाती थी

परिवार मे रिश्तों को कैसे

बान्ध कर रखना

और बहुत कुछ था उसमे

तेरे हाथ से बनी

पुरानी साढी की एक गुडिया

जिसमे तेरे जीवन का हर रंग था

और गुडिया की आँखों मे

त्याग ,करुणा स्नेह, सहनशीलता

यही नारी के गुण

एक अच्छे परिवार और समाज की

संरचना करते हैं

तभी तो हर माँ

चाव से दहेज मे

ये संदूकची दिया करती थी

मगर माँ अब समय बहुत बदल गया है

शायद इस सन्दूकची को

नये जमाने की दीमक लग गयी है

अब मायें इसे देना

“आऊट आफ” फैशन समझने लगी है

समय की धार से कितने टुकडे हो गये है

इस रेशम की डोरी के

अब आते ही लडकियाँ

अपना अलग घर बनाने की

सोचने लगती हैं

कोई माँ अब डोरी नही बुनती

बुनना सिलना भी तो अब कहाँ रहा है

अब वो तेरे हाथ से बनी गुडिया जैसी

गुडिया भी तो नही बनती

बाजार मे मिलती हैं गुडिया

बडी सी, रिमोट से चलती है

जो नाचती गाती मस्त रहती है

ममता, करुणा, त्याग, सहनशीलता

पिछले जमाने की

वस्तुयें हो कर रह गयी हैं

लेकिन माँ

मैने जाना है

इस सन्दूकची ने मुझे कैसे

एक अच्छे परिवार का उपहार दिया

और मै सहेज रही हूँ एक और सन्दूकची

जैसे नानी ने तुझे और तू ने मुझे दी

इस रीत को तोडना नही चाहती

ताकि अभी भी बचे रहें

कुछ परिवार टूटने से

और हर माँ से कहूँगी

कि अगर दहेज देना है

तो इस सन्दूकची के बिना नही

Language: Hindi
3 Comments · 873 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
"पहले मुझे लगता था कि मैं बिका नही इसलिए सस्ता हूँ
दुष्यन्त 'बाबा'
#शिवाजी_के_अल्फाज़
#शिवाजी_के_अल्फाज़
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
गीतिका
गीतिका
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तुम से मिलना था
तुम से मिलना था
Dr fauzia Naseem shad
इश्क़ एक सबब था मेरी ज़िन्दगी मे,
इश्क़ एक सबब था मेरी ज़िन्दगी मे,
पूर्वार्थ
प्यार की स्टेजे (प्रक्रिया)
प्यार की स्टेजे (प्रक्रिया)
Ram Krishan Rastogi
कौन कितने पानी में
कौन कितने पानी में
Mukesh Jeevanand
सत्य
सत्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"दिल को"
Dr. Kishan tandon kranti
2405.पूर्णिका
2405.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
घनाक्षरी छंद
घनाक्षरी छंद
Rajesh vyas
होली
होली
Dr. Kishan Karigar
सह जाऊँ हर एक परिस्थिति मैं,
सह जाऊँ हर एक परिस्थिति मैं,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
*डंका बजता योग का, दुनिया हुई निहाल (कुंडलिया)*
*डंका बजता योग का, दुनिया हुई निहाल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
■ हास्यमय समूह गीत
■ हास्यमय समूह गीत
*Author प्रणय प्रभात*
सदपुरुष अपना कर्तव्य समझकर कर्म करता है और मूर्ख उसे अपना अध
सदपुरुष अपना कर्तव्य समझकर कर्म करता है और मूर्ख उसे अपना अध
Sanjay ' शून्य'
मानव जीवन की बन यह पहचान
मानव जीवन की बन यह पहचान
भरत कुमार सोलंकी
किताबों से ज्ञान मिलता है
किताबों से ज्ञान मिलता है
Bhupendra Rawat
घरौंदा
घरौंदा
Madhavi Srivastava
दृष्टिकोण
दृष्टिकोण
Dhirendra Singh
सामन्जस्य
सामन्जस्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वाणी वंदना
वाणी वंदना
Dr Archana Gupta
The Little stars!
The Little stars!
Buddha Prakash
Those who pass through the door of the heart,
Those who pass through the door of the heart,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
पिला रही हो दूध क्यों,
पिला रही हो दूध क्यों,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
* ज्योति जगानी है *
* ज्योति जगानी है *
surenderpal vaidya
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*ये आती और जाती सांसें*
*ये आती और जाती सांसें*
sudhir kumar
बुंदेली दोहा -गुनताडौ
बुंदेली दोहा -गुनताडौ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Loading...