भरें श्याम कैसे बताओ ये गागर
भरें श्याम कैसे बताओ ये गागर
सताते हो तुम रोज यमुना पे आकर
कभी जब छुपाते वसन तुम हमारे
खड़े हाथ जोड़े रहें हम तुम्हारे
शिकायत करें यदि यशोदा से जाकर
हँसो दोष उल्टा हमीं पे लगाकर
भरें श्याम कैसे बताओ ये गागर
दही और माखन हमारे चुराते
भरी मटकियां रोज ही फोड़ जाते
शरारत बतायें कहाँ तक तुम्हारी
खिजाते हमें काम इतना बढ़ाकर
भरें श्याम कैसे बताओ ये गागर
तुम्हारी अदा हर हमें है लुभाती
न देखें तुम्हें तो नज़र डबडबाती
भुला रोज देते हो सुध बुध हमारी
मधुर बाँसुरी साँवरे तुम सुनाकर
भरें श्याम कैसे बताओ ये गागर
डॉ अर्चना गुप्ता