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4 Feb 2017 · 1 min read

“प्रेमगीत” ?

दिल चाहता हैं मैं भी प्रेमगीत लिखूँ
शब्दों से सजाकर अपना मनमीत लिखूँ
बारिश की बूँदें,फूलों की खुशबू
हवा की सनसनाहट,चाँद की आहट लिखूँ….

दिल चाहता है मैं भी प्रेम गीत लिखूँ…

थोड़ी सी बैचैनी ज़रा सा सुकून लिखूँ
कुछ खोने का डर,कुछ पाने का जूनून लिखूँ
ज़रा सी सादगी,ज़रा सी शरारत
मन दर्पण तेरा,खुद को प्रतिबिम्ब लिखूँ

दिल चाहता है मैं भी प्रेमगीत लिखूँ….

पर यकायक जब तुम सामने आते हो
बंद आँखों मेरा दिल पढ़ जाते हो
तब निशब्द सी हो जाती हूँ
ये अहसास वाली भाषा समझकर
क्योंकि बंधन तो बंधन होता है
यूँ प्रेम को फिर क्यूँ बांध के रखूँ
तुम्ही कहो क्यों ऐसा प्रेमगीत लिखूँ….

© “इंदु रिंकी वर्मा”

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 345 Views
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