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9 Sep 2017 · 1 min read

*=* नारी शक्ति को समर्पित *=*

नारी
न कहिए उसको बेचारी।
नही है बेबस न कोई लाचारी।
पुरुष को देना छोडो़ दोष।
वह नहीं है अत्याचारी।
बुराई तो छिपी है खुद जड़ों में हमारी।
पुरुष ने तो सदा दिया है साथ।
दिया है नारी ने ही नारी को आघात।
क्या हमें मिली हुई पीड़ा,
बदले में किसी को पीड़ा देने से हो जाएगी कम।
“मेरी सास ने तो इतना – इतना किया। हमने भी तो सब सहन किया।
ये तो उसके सामने कुछ भी नहीं है ”
यदि इन हार्दिक उदगारों की जगह
यह हो कि-
” हां बेटी मैं समझ सकती हूं तेरी पीड़ा।
मैं जब इस जगह थी मुझे भी बड़ी तकलीफ हुई थी।
-आ मैं तुझे उन तकलीफों से निजात दिलाऊं
-सारे झूठे ढकोसलों से मुक्त कराऊं
-बहू को बेटी के समान दर्जा दिलाऊं
-नारी हूं नारी की पूर्ण पक्षधर बनकर दिखलाऊं।”
है उम्मीद कि यह दिन भी कभी न कभी आएगा।
आशा है कल का सूरज आशा की नूतन रश्मि बन जाएगा।
नारी शक्ति को और भी सुदृढ़ और भी सबल बनाएगा।

—रंजना माथुर दिनांक 28/06/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
493 Views
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