दुर्मिल सवैया छन्द/// मनमोहिनि मूरति देखि रही
मटकी झटकी पटकी धरनी खटकी हिय मा दधि धार बही।
तब खीझि गई बृषभानु लली झट जाइ यशोमति बात कही।
पर पावन प्रेम गुँथी अइसी विपरीत भई उर पीर सही।
तरु ओट लुकी मनमोहन की मनमोहिनि मूरति देखि रही।
—–@विवेक आस्तिक