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19 Sep 2017 · 1 min read

दम तोड़ती भुखमरी

आसरा हो जो तेरे दीदार का
है इलाजे मर्ज़ इस बीमार का

पा बुलन्दी शोहरतों के रास्ते
करना मत सौदा मगर क़िरदार का

हौसला ग़र होगी हासिल जीत भी
शोक क्या हरदम मनाना हार का

हर दफ़ा साहिल पे डूबी कश्तियाँ
मिट गया डर दिल से अब मझधार का

हाशिये में तोड़ती दम भुखमरी
हाल अब बाज़ार सा अख़बार का

सुशान्त वर्मा

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