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26 Jan 2017 · 1 min read

तब से जवां हुई है मुहब्बत नई नई

लिख दी है जब से दिल की वसीयत नई नई
तब से जवां हुई है मुहब्बत नई नई

बचपन गया जवानी में रक्खे कदम जरा
मिलने लगी सभी से नसीहत नई नई

यूँ लड़खड़ाते देख के उनके कदम लगे
शायद मिली है उनको ये शोहरत नई नई

करते जिरह भी ठीक से अपनी अभी नहीं
सीखी जो है उन्होंने वकालत नई नई

धरती न कैसे काँपे जो बनती ही जा रहीं
यूँ काट कर वनों को इमारत नई नई

भाने लगीं हैं चाँद सितारों की बात अब
हमको हुई है ‘अर्चना’ उल्फत नई नई

डॉ अर्चना गुप्ता

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