Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jan 2017 · 1 min read

जीवन का खेल बडा अनोखा है.

दो हसीन पल जी लेने दो यारो.
ये जिन्दगी मिली है, बड़ी मुद्दतो बाद. इसमे गम ही सही. इस गम को पी लेने दो यारो….
कल नसीब मे क्या लिखा
भविष्य को किसने जाना है.
किस्मत को दोष देना तो लोगो का एक बहाना है..
यूं समझ लो जिन्दगी एक किताब है.
जिसका हर पन्ना नयी सोंच नया ख्वाब है..
ये जिन्दगी का खेल बड़ा ही अनोखा है.
जिसमे कभी साथ तो कभी धोखा है
यहॉ आने वाले तो कब किसने देखा है
जाने वाले को कब किसने रोका है… $

Language: Hindi
290 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
डी. के. निवातिया
*बाल गीत (मेरा सहपाठी )*
*बाल गीत (मेरा सहपाठी )*
Rituraj shivem verma
मां का घर
मां का घर
नूरफातिमा खातून नूरी
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Sanjay ' शून्य'
सत्य साधना
सत्य साधना
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ज़िंदगी का खेल है, सोचना समझना
ज़िंदगी का खेल है, सोचना समझना
पूर्वार्थ
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
surenderpal vaidya
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आज का महाभारत 2
आज का महाभारत 2
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तुम्हारे बिन कहां मुझको कभी अब चैन आएगा।
तुम्हारे बिन कहां मुझको कभी अब चैन आएगा।
सत्य कुमार प्रेमी
"सफर,रुकावटें,और हौसले"
Yogendra Chaturwedi
वक्त की कहानी भारतीय साहित्य में एक अमर कहानी है। यह कहानी प
वक्त की कहानी भारतीय साहित्य में एक अमर कहानी है। यह कहानी प
कार्तिक नितिन शर्मा
श्री राम भक्ति सरिता (दोहावली)
श्री राम भक्ति सरिता (दोहावली)
Vishnu Prasad 'panchotiya'
मां शैलपुत्री देवी
मां शैलपुत्री देवी
Harminder Kaur
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
कवि रमेशराज
एक पल सुकुन की गहराई
एक पल सुकुन की गहराई
Pratibha Pandey
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"मायने"
Dr. Kishan tandon kranti
फिर बैठ गया हूं, सांझ के साथ
फिर बैठ गया हूं, सांझ के साथ
Smriti Singh
रुकना हमारा काम नहीं...
रुकना हमारा काम नहीं...
AMRESH KUMAR VERMA
💐प्रेम कौतुक-435💐
💐प्रेम कौतुक-435💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कुछ पल
कुछ पल
Mahender Singh
मैं नारी हूँ, मैं जननी हूँ
मैं नारी हूँ, मैं जननी हूँ
Awadhesh Kumar Singh
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Godambari Negi
*हिम्मत जिंदगी की*
*हिम्मत जिंदगी की*
Naushaba Suriya
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
मेरी रातों की नींद क्यों चुराते हो
Ram Krishan Rastogi
जन जन फिर से तैयार खड़ा कर रहा राम की पहुनाई।
जन जन फिर से तैयार खड़ा कर रहा राम की पहुनाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"बिन स्याही के कलम "
Pushpraj Anant
*आया फिर से देश में, नूतन आम चुनाव (कुंडलिया)*
*आया फिर से देश में, नूतन आम चुनाव (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...