Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2017 · 3 min read

जीवन का उद्देश्य क्या हैं?

‌इतनेदिनों से मैं सोच रहा था, चिंतन कर रहा था, औरों को सुन रहा था, मगर अब खुद का कुछ निजी अनुभव साझा करने का समय है। अक्सर आपने सुना होगा, या सुनते आये है कि मनुष्य जन्म का प्रयोजन क्या है, उसका इस धरती पर आने का मकसद क्या हैं? अगर अत्यधिक गूढ़ ज्ञानियों से आपने कभी ज्ञान ले भी लिया हो तो , निसंदेह आप एक ही बात कह उठेंगे। की इस जगत में आने का इंसान का एकमात्र मकसद सिर्फ भगवान की प्राप्ति है, प्रभु का भजन है। जिसने हमें बनाया है, उनकी आराधना करना है। क्योकि एकदिन सबको जाना है। इंसान फालतू में मोह माया में पड़ा है। इसके पीछे एक बहुत बड़ा ‘क्योंकि’ लगा रहता है। वो ये है कि ‘क्योंकि ये शरीर नश्वर है सबको एक दिन तो जाना ही है तो क्यों ये सब अथक परिश्रम? मैं पूछता हूँ कि क्या खाना, पीना, सो जाना, यही एक मकसद है मनुष्य जीवन का? क्या ये सोचकर हम अकर्मण्य हो जाये की सिर्फ भगवान की प्राप्ति ही जीवन का एकमात्र लक्ष्य है। सोचिये, फिर व्यवस्था का क्या होगा। एक रिक्शेवाला, एक मज़दूर, एक किसान; टाटा अम्बानी और अमिताभ बच्चन से किस प्रकार से भिन्न है? आखिर क्यों एक जी तोड़ मेहनत करके भी दो वक़्त की सही से रोटी नही जुटा पा रहा है वही दूसरे भी जी तोड़ मेहनत कर रहे है, लेकिन उनकी मेहनत से करोड़ों की कमाई कैसे होती है। थोड़ा खोल के समझाना चाहता हूँ यहाँ कर्म का अंतर है। उस उद्देश्य का अंतर है , जो दोनों को मिला है। सोचिये सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट खेलता देख अगर सब सचिन बनना चाहे तो? अगर अमिताभ बच्चन जैसा अभिनेता सब बनना चाहे तो? अगर सैनिकों का शौर्य देख सब के सब फ़ौज़ी बनना चाहे तो? नेताओं वाले ठाट देख अगर सब नेता बनना चाहे तो? रोज़ रोज़ प्राइवेट जॉब के थपेड़े खा चुका हर इंसान अगर सरकारी नौकरी में भर्ती होना चाहे तो? आप बताइए क्या सब के लिए सब संभव है? निसंदेह यह असंभव है। सो बातों की एक बात ये है कि धरती पर आने का सबका कोई न मकसद अवश्य है। जब हम इस पूरी दुनियां को देखते है तो पाते है कि यह कुछ और नही, एक व्यवस्था है। जिसे ऊपरवाला चला रहा है। मैंने ‘व्यवस्था’ शब्द का जिक्र किया है, जिसे गहराई से समझने की जरुरत है। ये मैं आप पर छोड़ता हूँ। हर एक व्यक्ति का कर्म निश्चित है। किसान किसानी कर है, झाड़ू पोछे वाला घर घर में सफाई कर रहा है, पत्रकार पत्रकारिता कर रहा है, खिलाड़ी खेल रहा है, फोजी लड़ रहा हैं, नेता देश चला रहा है.. आखिर सब लोग एक ही तरह का काम क्यों नही कर लेते? जी नहीं चाहकर भी नही कर पाएंगे। ये सब लौग अगर सब फोजी बन गये तो बाकी काम कोन करेगा? माना कि देशप्रेम सर्वोपरि है, परन्तु फिर मनोरंजन कोन करेगा, घरों की सफाई, गलियों की सफाई कोन करेगा? सब फ़िल्मी एक्टर बने तो देश की रक्षा कोन करेगा? सब अगर अम्बानी टाटा हो गये तो खेतों में अनाज कोन उपजायेगा? एक मैला ढोने वाला अगर एक दिन स्टेशन पर ना आये तो कितना गन्दा होगा आप सोच सकते है। फिर क्या उसे भगवान के वो भक्त ठीक करेंगे या स्वयं भगवान। जी नही, उसे वही साफ़ करेगा जिसे ये कर्तव्य सौंपा गया है । कहने का मतलब यही की इस ब्रह्माण्ड में आने का कारण कोई ना कोई कर्म करना अवश्य है। भले ही वह जो भी हो। हां भगवतभक्ती की आड़ में, सिर्फ भगवान को अपना एकमात्र लक्ष्य बताना, बार -बार मरने की निश्चितता की दुहाई देकर, अन्य सभी कर्तव्यों से विमुख हो जाना, मेरी नज़र में अकर्मण्यता ही है। इसलिए जो ‘सुकाम’ आप इस समय कर रहे हैं , वही आपका कर्तव्य है। भगवान् का भजन करना भी अपने आप में एक कर्म ही है, लेकिन एकमात्र कर्म बिलकुल नही.

‌- नीरज चौहान।
‌(निजी विचार, स्वतंत्र लेखन)
आपकी प्रतिक्रियाओं का स्वागत है।

Language: Hindi
Tag: लेख
732 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
इतना क्यों व्यस्त हो तुम
Shiv kumar Barman
खुश वही है , जो खुशियों को खुशी से देखा हो ।
खुश वही है , जो खुशियों को खुशी से देखा हो ।
Nishant prakhar
ह्रदय के आंगन में
ह्रदय के आंगन में
Dr.Pratibha Prakash
पिता
पिता
Kavi Devendra Sharma
मेरे शब्द, मेरी कविता, मेरे गजल, मेरी ज़िन्दगी का अभिमान हो तुम
मेरे शब्द, मेरी कविता, मेरे गजल, मेरी ज़िन्दगी का अभिमान हो तुम
Anand Kumar
मुश्किलों से हरगिज़ ना घबराना *श
मुश्किलों से हरगिज़ ना घबराना *श
Neeraj Agarwal
आज बेरोजगारों की पहली सफ़ में बैठे हैं
आज बेरोजगारों की पहली सफ़ में बैठे हैं
दुष्यन्त 'बाबा'
नंद के घर आयो लाल
नंद के घर आयो लाल
Kavita Chouhan
आईना
आईना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
“ मैथिल क जादुई तावीज़ “ (संस्मरण )
“ मैथिल क जादुई तावीज़ “ (संस्मरण )
DrLakshman Jha Parimal
इश्क में हमको नहीं, वो रास आते हैं।
इश्क में हमको नहीं, वो रास आते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पीक चित्रकार
पीक चित्रकार
शांतिलाल सोनी
सुकूं आता है,नहीं मुझको अब है संभलना ll
सुकूं आता है,नहीं मुझको अब है संभलना ll
गुप्तरत्न
प्रभु शरण
प्रभु शरण
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
कोई आरज़ू नहीं थी
कोई आरज़ू नहीं थी
Dr fauzia Naseem shad
*_......यादे......_*
*_......यादे......_*
Naushaba Suriya
कौन है जो तुम्हारी किस्मत में लिखी हुई है
कौन है जो तुम्हारी किस्मत में लिखी हुई है
कवि दीपक बवेजा
कितने कोमे जिंदगी ! ले अब पूर्ण विराम।
कितने कोमे जिंदगी ! ले अब पूर्ण विराम।
डॉ.सीमा अग्रवाल
■ शर्मनाक हालात
■ शर्मनाक हालात
*Author प्रणय प्रभात*
" यकीन करना सीखो
पूर्वार्थ
"आत्मावलोकन"
Dr. Kishan tandon kranti
दो जीवन
दो जीवन
Rituraj shivem verma
3058.*पूर्णिका*
3058.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेइंतहा सब्र बक्शा है
बेइंतहा सब्र बक्शा है
Dheerja Sharma
*लम्हे* ( 24 of 25)
*लम्हे* ( 24 of 25)
Kshma Urmila
*कुछ सजा खुद को सुनाना चाहिए (हिंदी गजल/गीतिका)*
*कुछ सजा खुद को सुनाना चाहिए (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
वर्षा के दिन आए
वर्षा के दिन आए
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...