Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2017 · 1 min read

जब काल आया सामने, तब समझा,सब अज्ञान था|

संसार में भटके बहुत,आनंदधन नाहीं मिला |
आया बुढ़ापा, ढल चला, मजबूत काया का किला|

रोते हो क्यों, पहले जगत् -मन ,ज्यादा शैतान था?
जब काल आया सामने, तब समझा, सब अज्ञान था |

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए”एवं “कौंंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

काल=मृत्यु

Language: Hindi
Tag: शेर
472 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Pt. Brajesh Kumar Nayak
View all
You may also like:
शिक्षक
शिक्षक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
Fool's Paradise
Fool's Paradise
Shekhar Chandra Mitra
अभिव्यक्ति की सामरिकता - भाग 05 Desert Fellow Rakesh Yadav
अभिव्यक्ति की सामरिकता - भाग 05 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
कवियों में सबसे महान कार्य तुलसी का (घनाक्षरी)
कवियों में सबसे महान कार्य तुलसी का (घनाक्षरी)
Ravi Prakash
जलियांवाला बाग काण्ड शहीदों को श्रद्धांजलि
जलियांवाला बाग काण्ड शहीदों को श्रद्धांजलि
Mohan Pandey
पीताम्बरी आभा
पीताम्बरी आभा
manisha
!! सोपान !!
!! सोपान !!
Chunnu Lal Gupta
गौर फरमाएं अर्ज किया है....!
गौर फरमाएं अर्ज किया है....!
पूर्वार्थ
"परोपकार के काज"
Dr. Kishan tandon kranti
चलो सत्य की राह में,
चलो सत्य की राह में,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शिर ऊँचा कर
शिर ऊँचा कर
महेश चन्द्र त्रिपाठी
आरक्षण
आरक्षण
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
रमेशराज के पर्यावरण-सुरक्षा सम्बन्धी बालगीत
रमेशराज के पर्यावरण-सुरक्षा सम्बन्धी बालगीत
कवि रमेशराज
3114.*पूर्णिका*
3114.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नेता हुए श्रीराम
नेता हुए श्रीराम
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सुबह – सुबह की भीनी खुशबू
सुबह – सुबह की भीनी खुशबू
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*जीवन में खुश रहने की वजह ढूँढना तो वाजिब बात लगती है पर खोद
*जीवन में खुश रहने की वजह ढूँढना तो वाजिब बात लगती है पर खोद
Seema Verma
■ शर्म भी कर लो।
■ शर्म भी कर लो।
*Author प्रणय प्रभात*
लीजिए प्रेम का अवलंब
लीजिए प्रेम का अवलंब
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ऐ बादल अब तो बरस जाओ ना
ऐ बादल अब तो बरस जाओ ना
नूरफातिमा खातून नूरी
बरगद पीपल नीम तरु
बरगद पीपल नीम तरु
लक्ष्मी सिंह
तुम्हारा प्यार अब मिलता नहीं है।
तुम्हारा प्यार अब मिलता नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
मर्यादा और राम
मर्यादा और राम
Dr Parveen Thakur
तेरी गली से निकलते हैं तेरा क्या लेते है
तेरी गली से निकलते हैं तेरा क्या लेते है
Ram Krishan Rastogi
मुक्तक... हंसगति छन्द
मुक्तक... हंसगति छन्द
डॉ.सीमा अग्रवाल
भ्रम
भ्रम
Kanchan Khanna
सूझ बूझ
सूझ बूझ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
इतनी बिखर जाती है,
इतनी बिखर जाती है,
शेखर सिंह
*इश्क़ न हो किसी को*
*इश्क़ न हो किसी को*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
“आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अँधा बना देगी”- गांधी जी
“आँख के बदले आँख पूरी दुनिया को अँधा बना देगी”- गांधी जी
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
Loading...