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31 Jul 2017 · 1 min read

जगत रचयिता पूछ रहा है ,, बोलो युवा कौन हो तुम

जगत रचयिता पूछ रहा है
बोलो युवा कौन हो तुम ,,,,

शांत जल की नीरवता हो या
अपार ऊर्जा का कोलाहल हो तुम ,,,,

सिद्ध पुराने समीकरणो को पंगू करते
अधुनातन रीत का मंडन हो तुम ,,,,
या
विभत्स बड़ा जो जान पर भारी
रिवाजो का खंडन हो तुम ,,,,

जगत रचयिता पूछ रहा है
बोलो युवा कौन हो तुम ,,,,

बड़े खड़े बाधाओ पर भारी
विजय केवल विजय लक्ष्य को अभिशप्त हो तुम ,,,,
या
न्याय प्रियो के अश्रुओ से निकले
निर्भिक प्रचंड ज्वाला से तप्त हो तुम ,,,,

कृत्य सहित जो धर्म का सूचक
ऐसा विचारो का उत्थान हो तुम ,,,,
या
बे बंधन उन्मुक्त अंबर का जीवंत उड़ता ज्ञान हो तुम ,,,,

जगत रचयिता पूछ रहा है
बोलो युवा कौन हो तुम ,,,,

झांको अंदर सलीके से अभी युवा
क्या
राष्ट्र भाग्य को लिखने वाले
प्रत्यक्ष द्रुत देव हो तुम ,,,,

सदानन्द
31 जुलाई 2017

Language: Hindi
570 Views
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