कहते हैं आजकल …..
नासूर का होता अगर…..
नोटबन्दी शायद कहीं हथौड़ा सा बन गया
कोई उठा के फायदा थोड़ा सा बन गया
मार्केट जिसकी थी नहीं वेल्यु किसी प्रकार
वो हिंनहिनाता दौड़ता घोडा सा बन गया
नालायक गिने जाते थे जो हरेक काम मगर
घर छोड़ के वो सुर्ख़ियों भगोड़ा सा बन गया
दिखने में थी वो शक्ल से सुन्दर सी छोकरी
अब नाक देखो आप ही पकोड़ा सा बन गया
इल्जाम थे खून के तो कोई बात भी न थी
नीयत से वो बदमाश ही छिछोड़ा सा बन गया
कब बाप को बेहाल जाता छोड़ कर बेटा
कहते हैं पर आजकल वो भगोड़ा सा बन गया
नासूर का होता अगर वक्त में मुआइना
कोई नहीं कहता कभी ,फोड़ा सा बन गया
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Sushil Yadav
Durg Chhatisgarh