Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Apr 2017 · 1 min read

( कविता ) बचपन की यादें

वो बचपन की यादें, बड़ी ही सुहानी
बहुत याद आते वो किस्से कहानी ।

वो गुल्ली, वो डंडा, वो कंचों का खेला
मुहल्ले मे लगता था, बच्चों का मेला
अब यादों मे ही रह गईं वो निशानी
वो बचपन की….

कभी चोर बनते, कभी हम सिपाही
कभी फेंकते एक दूजे पे स्याही
कितनी हसीं तब ये थी जिंदगानी
वो बचपन की…

पतंगें उडा़ना, वो मेले मे जाना
वो बागों से फूलों फलों को चुराना
बहुत लाड़ करते थे नाना ऒर नानी ।।
वो बचपन की..

गीतेश दुबे ” गीत “

Language: Hindi
519 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
Deepak Baweja
--जो फेमस होता है, वो रूखसत हो जाता है --
--जो फेमस होता है, वो रूखसत हो जाता है --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
जिंदा है धर्म स्त्री से ही
जिंदा है धर्म स्त्री से ही
श्याम सिंह बिष्ट
देखा तुम्हें सामने
देखा तुम्हें सामने
Harminder Kaur
मुहब्बत  फूल  होती  है
मुहब्बत फूल होती है
shabina. Naaz
*नासमझ*
*नासमझ*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मिर्जा पंडित
मिर्जा पंडित
Harish Chandra Pande
*दिल में  बसाई तस्वीर है*
*दिल में बसाई तस्वीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हर शेर हर ग़ज़ल पे है ऐसी छाप तेरी - संदीप ठाकुर
हर शेर हर ग़ज़ल पे है ऐसी छाप तेरी - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
देखता हूँ बार बार घड़ी की तरफ
देखता हूँ बार बार घड़ी की तरफ
gurudeenverma198
आंखों की भाषा
आंखों की भाषा
Mukesh Kumar Sonkar
■ सुरीला संस्मरण
■ सुरीला संस्मरण
*Author प्रणय प्रभात*
"मैं-मैं का शोर"
Dr. Kishan tandon kranti
1🌹सतत - सृजन🌹
1🌹सतत - सृजन🌹
Dr Shweta sood
// सुविचार //
// सुविचार //
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
पर्यावरण है तो सब है
पर्यावरण है तो सब है
Amrit Lal
बीमार घर/ (नवगीत)
बीमार घर/ (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
दर्पण जब भी देखती खो जाती हूँ मैं।
दर्पण जब भी देखती खो जाती हूँ मैं।
लक्ष्मी सिंह
जुनून
जुनून
अखिलेश 'अखिल'
खिलौनो से दूर तक
खिलौनो से दूर तक
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी एक सफ़र अपनी
जिंदगी एक सफ़र अपनी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
VINOD CHAUHAN
रो रो कर बोला एक पेड़
रो रो कर बोला एक पेड़
Buddha Prakash
बेपरवाह
बेपरवाह
Omee Bhargava
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
2954.*पूर्णिका*
2954.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आज वो दौर है जब जिम करने वाला व्यक्ति महंगी कारें खरीद रहा ह
आज वो दौर है जब जिम करने वाला व्यक्ति महंगी कारें खरीद रहा ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
शिशिर ऋतु-१
शिशिर ऋतु-१
Vishnu Prasad 'panchotiya'
बादल छाये,  नील  गगन में
बादल छाये, नील गगन में
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...