Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Oct 2016 · 1 min read

कभी जिन्दगी में उजाले न होते

कभी जिन्दगी में उजाले न होते
अगर आप हमको सँभाले न होते

नहीं ढूंढ पाते कभी प्यार को हम
अगर चिठ्ठियों को खँगाले न होते

हटाते अगर तुम जरा ये दुपट्टा
हमारी जुबां पर भी ताले न होते

टहलते न गम ही न खुशियाँ थिरकती
अगर महफिलों में पियाले न होते

सभी कुछ जहां में हमें साफ़ दिखता
अगर मोह के दिल पे’ जाले न होते

हमारा ये’ दिल बैठ जाता कभी का
अगर दर्द दिल से निकाले न होते

न होता समंदर कभी इतना’ खारा
ये आंसू समंदर में डाले न होते

3 Comments · 381 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इधर उधर की हांकना छोड़िए।
इधर उधर की हांकना छोड़िए।
ओनिका सेतिया 'अनु '
बिना आमन्त्रण के
बिना आमन्त्रण के
gurudeenverma198
सत्य
सत्य
Dr.Pratibha Prakash
श्रृंगार
श्रृंगार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
14. आवारा
14. आवारा
Rajeev Dutta
सोचता हूँ  ऐ ज़िन्दगी  तुझको
सोचता हूँ ऐ ज़िन्दगी तुझको
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आज कल कुछ इस तरह से चल रहा है,
आज कल कुछ इस तरह से चल रहा है,
kumar Deepak "Mani"
चंद्रयान 3
चंद्रयान 3
Dr Archana Gupta
■ सियासी नाटक
■ सियासी नाटक
*Author प्रणय प्रभात*
(21)
(21) "ऐ सहरा के कैक्टस ! *
Kishore Nigam
*कोयल की कूक (बाल कविता)*
*कोयल की कूक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मच्छर
मच्छर
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"भुला ना सके"
Dr. Kishan tandon kranti
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
बड़े परिवर्तन तुरंत नहीं हो सकते, लेकिन प्रयास से कठिन भी आस
ललकार भारद्वाज
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
Manisha Manjari
2769. *पूर्णिका*
2769. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पेड़ से कौन बाते करता है ?
पेड़ से कौन बाते करता है ?
Buddha Prakash
मुक्तक- जर-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
मुक्तक- जर-जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
सत्य कुमार प्रेमी
मैं तुलसी तेरे आँगन की
मैं तुलसी तेरे आँगन की
Shashi kala vyas
संसद के नए भवन से
संसद के नए भवन से
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बड़ा असंगत आजकल, जीवन का व्यापार।
बड़ा असंगत आजकल, जीवन का व्यापार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ज़िन्दगी चल नए सफर पर।
ज़िन्दगी चल नए सफर पर।
Taj Mohammad
बहुत कुछ था कहने को भीतर मेरे
बहुत कुछ था कहने को भीतर मेरे
श्याम सिंह बिष्ट
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
Sandeep Kumar
नारी अस्मिता
नारी अस्मिता
Shyam Sundar Subramanian
बहता पानी
बहता पानी
साहिल
ये चांद सा महबूब और,
ये चांद सा महबूब और,
शेखर सिंह
जय श्री राम
जय श्री राम
Neha
-- अंधभक्ति का चैम्पियन --
-- अंधभक्ति का चैम्पियन --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
Loading...