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24 May 2017 · 1 min read

कब बताता है

चेहरे का हर भाव किया वादा कब बताता है
कितना दर्द है दिल में आयना कब बताता है

क्यों तडप तडप के जान दे रहीं हैं सदियों से
इन लहरों के जज़्बात किनारा कब बताता है

हथेली की लकीरों में लिखा सब कुछ होता है
फिरभी यह मुक़द्दर खुद इशारा कब बताता है

मुसाफिरों को मंजिलों का इल्म हो तो बेहतर
वर्ना ले जायगा कहाँ यह रास्ता कब बताता है

अंधेरों में भी दीपक जलाना सीख लो आखिर
कितने वक़्त हैं खुशियाँ उजाला कब बताता है

कहते हैं कि विशवास पर ही कायम है दुनिया
कभी तक साथ दे अपना सहारा कब बताता है

कौन यूँहीं मिल जाए और कौन कहीं खो जाए
वक़्त का मिजाज़ कोई सितारा कब बताता है

छूते ही ‘मिलन’ तुझे तन मन सुलग जाता है
कितनी आग हो मुझ में शरारा कब बताता है !!

मिलन “मोनी”

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