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30 Jul 2017 · 1 min read

आखिर मन ही तो है

आखिर मन ही तो है
कभी ख्याली बूंद बन महल सजाने लगता है
और कभी दूसरे ही पल खुद के बनाय घरोंदे को खुद ही तहस नहस करने लगता है ।
आखिर मन ही तो है
कभी अपने जीवन को देता है नया अर्थ ।
और कभी खुद के किरदार को मिटाने लगता है।
आखिर मन ही तो है
कभी अराजक होते आवाज को शरण देता है।
और कभी दूसरे ही पल खुद के मन की अमृत धारा को मिटाने लगता है।
आखिर मन ही तो है
कभी गमगीन समां मे किसी को साझेदार नहीं बनाता है
और कभी आशुतोष खुशियो की सरगम भी सारे जहाँ को सुनाना चाहता है।
आखिर मन ही तो है।

Language: Hindi
408 Views
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