Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jan 2017 · 1 min read

मैं और तुम

मैं और तुम

मैं प्यासा सागर तट का
मैं दर्पण हूँ तेरी छाया का
मैं ज्वाला हूँ तड़पन का
मैं राही हूँ प्यार मे भटका
मैं हूँ मौन इज़हार दर्द का

तुम धड़कन मेरे दिल की
तुम चाहत मेरे सपनो की
तुम दवा मेरे ज़ख्मी-दिल की
तुम छंद हो मेरे कविता की
तुम मंजिल मेरे जीवन की

मैं और तुम प्यास बुझायें
मैं और तुम हमराही हो जायें
मैं और तुम मन को बहलायें
मैं और तुम आपस मे समाये
मैं और तुम प्रेम गीत गायें

तुम और मैं बंधे बाँहों मे
तुम और मैं धड़कन मे
तुम और मैं मग्न अपने मे
तुम और मैं प्रेम बंधन मे
तुम और मैं साथ जीने-मरने मे

सजन

Language: Hindi
389 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पर्यायवरण (दोहा छन्द)
पर्यायवरण (दोहा छन्द)
नाथ सोनांचली
सुनाऊँ प्यार की सरग़म सुनो तो चैन आ जाए
सुनाऊँ प्यार की सरग़म सुनो तो चैन आ जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
लोग एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त हुए
लोग एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त हुए
ruby kumari
2317.पूर्णिका
2317.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जय संविधान...✊🇮🇳
जय संविधान...✊🇮🇳
Srishty Bansal
रंजिशें
रंजिशें
AJAY AMITABH SUMAN
Quote
Quote
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रंगो का है महीना छुटकारा सर्दियों से।
रंगो का है महीना छुटकारा सर्दियों से।
सत्य कुमार प्रेमी
लौट कर रास्ते भी
लौट कर रास्ते भी
Dr fauzia Naseem shad
Needs keep people together.
Needs keep people together.
सिद्धार्थ गोरखपुरी
💐प्रेम कौतुक-297💐
💐प्रेम कौतुक-297💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मां तुम्हें सरहद की वो बाते बताने आ गया हूं।।
मां तुम्हें सरहद की वो बाते बताने आ गया हूं।।
Ravi Yadav
*हुस्न से विदाई*
*हुस्न से विदाई*
Dushyant Kumar
स्वाभिमान
स्वाभिमान
Shweta Soni
पीड़ित करती न तलवार की धार उतनी जितनी शब्द की कटुता कर जाती
पीड़ित करती न तलवार की धार उतनी जितनी शब्द की कटुता कर जाती
Sukoon
"सूनी मांग" पार्ट-2
Radhakishan R. Mundhra
जिंदगी की हर कसौटी पर इम्तिहान हमने बखूबी दिया,
जिंदगी की हर कसौटी पर इम्तिहान हमने बखूबी दिया,
manjula chauhan
लगा ले कोई भी रंग हमसें छुपने को
लगा ले कोई भी रंग हमसें छुपने को
Sonu sugandh
जज़्बा है, रौशनी है
जज़्बा है, रौशनी है
Dhriti Mishra
-आजकल मोहब्बत में गिरावट क्यों है ?-
-आजकल मोहब्बत में गिरावट क्यों है ?-
bharat gehlot
■ आस्था की अनुभूति...
■ आस्था की अनुभूति...
*Author प्रणय प्रभात*
तुम जो कहते हो प्यार लिखूं मैं,
तुम जो कहते हो प्यार लिखूं मैं,
Manoj Mahato
अनमोल
अनमोल
Neeraj Agarwal
हर शायर जानता है
हर शायर जानता है
Nanki Patre
"सृजन"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा
दोहा
Ravi Prakash
कौन्तय
कौन्तय
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
पिता (मर्मस्पर्शी कविता)
पिता (मर्मस्पर्शी कविता)
Dr. Kishan Karigar
Do you know ??
Do you know ??
Ankita Patel
अज्ञात है हम भी अज्ञात हो तुम भी...!
अज्ञात है हम भी अज्ञात हो तुम भी...!
Aarti sirsat
Loading...