??◆सैनिक का धर्म◆??
सैनिक हो चाहे किसी देश का भी।
इंसान पहले है किसी वेश का भी।।
आमने-सामने लड़ना तो फर्ज़ ठहरा।
शहीद होने पर मान सर्वेश का भी।।
अंग-भंग करना कोई तालिम नहीं है।
विरोध हो ऐसी बर्बरता आदेश का भी।।
पार्थिव शरीर से छेड़ शैतानियत होती।
हर धर्म ये सिखाए अखिलेश का भी।।
युद्ध सदा ही घाटे का सौदा,न करो।
प्रेम,सौहार्द में आनंद नीलेश का भी।।
आज मेरा कल तेरा सिर कटेगा ऐसे।
हर रिस्ता रोयेगा पीछे सुदेश का भी।।
शांति,अमन का पाठ पढ़ो पढ़ाओ रे!
प्यार से महके कोना परिवेश का भी।।
आने वाली नसलें सुख की साँस लें।
स्वर्ग हो जाए भूलोक जनेश का भी।।
हिन्दू,मुस्लिम एक नूर से उपजे तुम।
शत्रु बन न तोड़ो नेम लोकेश का भी।।
दिलों की दुरियां कम करो वक्त रहते।
वरना मिटो,न बचे निशां कलेश का भी।।
“प्रीतम”कब उद्दार होगी ये इंसानी रूह?
जब देखेगी तांडव भूपर महेश का भी।।
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राधेयश्याम….बंगालिया….प्रीतम….कृत