Yavi, the endless
महज चंद अल्फाज़ ही कहें थे उसने ,एकाएक मेरी नजर उसकी नीली गुलाबी होंठ पर थी l अचानक से उसने अपने होंठ को दांतों से दबा कर अपनी अल्फाज़ को रोक दिया, उसके अल्फाज़ रुकते ही मानो मेरी साँसे रुकने लगी, फिर उसे महसूस हुआ और उसने अपने अल्फाज़ को जारी रखा, इस तरह हमारी पहली मुलाकात हुई थी उसके साथ। जैसे ही उसने अपनी बात पूरी की हम बेबाकी से देखे जा रहे थे, उसने अपने हाथ हिलाया और बोला हैलो कहाँ गुम हैं आप, मैंने अपना सिर हिलाया और बोला कुछ नहीं, जी हाँ कहिये, और वो मुस्कराते हुए कहाँ हम कह चुके अपनी बात। हम अभी कुछ कहने के लिए सोच ही रहे थे तब तक उसने बोला कुछ परेशान सा नज़र आ रहे हों आप ,कहीं मेरी वजह से तो नहीं, मैंने भी सिर हिलाते हुए जी हाँ, जी नहीं कहता रहा। और वो इस तरह मेरी भावना को पढ़ते गई। मैं भी कम कहा था, उन्हें एक बात बोलता और चुप हो जाता और वो शुरू हो जाती, मेरा ध्यान उनकी बातों पर कम, गुलाबी गाल, हल्का सा गालों को छूता हुआ जुल्फों और आंखों के सिवा कुछ दिखाई दे तब तो सुन पाता बातेँ।
क्रमशः……….