एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
*गुड़िया प्यारी राज दुलारी*
जोधाणौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
THOUGHT
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आना भी तय होता है,जाना भी तय होता है
भ्रष्टाचार संकट में युवकों का आह्वान
" पीती गरल रही है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
हुआ उजाला धरती अम्बर, नया मसीहा आया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बहुत तरासती है यह दुनिया जौहरी की तरह
Shankar Dwivedi (July 21, 1941 – July 27, 1981) was a promin
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
कभी-कभी डर लगता है इस दुनिया से यहां कहने को तो सब अपने हैं
किससे माफी माँगू, किसको माँफ़ करु।
शीत ऋतु
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
शोर, शोर और सिर्फ़ शोर, जहाँ देखो वहीं बस शोर ही शोर है, जहा
भारत के वायु वीर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता
जैसे पतझड़ आते ही कोयले पेड़ की डालियों को छोड़कर चली जाती ह