सौगंध से अंजाम तक - दीपक नीलपदम्
चल पड़े जान को, हम हथेली पर रख, एक सौगंध से, एक अंजाम तक । उसके माथे का टीका, सलामत रहे, सरहदें भी वतन की, सलामत रहें, जान से जान...
Poetry Writing Challenge-2 · Deepaksrivastavaneelpadam · Neelpadam · दीपक कुमार श्रीवास्तव नील पदम् · दीपक नील पदम् · दीपक नीलपदम