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मुस्कराहट के साथ फेरते हो नफरती तिलिस्म, सोचता हूँ कितने ऊपर औ कितने जमीं के अन्दर हो
मुस्कराहट के साथ फेरते हो नफरती तिलिस्म,
सोचता हूँ कितने ऊपर औ कितने जमीं के अन्दर हो