Posts Tag: सोरठा छंद 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sudhir srivastava 20 Feb 2025 · 2 min read सोरठा छंद धर्म ***** सबसे सुंदर धर्म, अपना सबको लग रहा। समझ रहे जो मर्म, मुट्ठी भर ही लोग हैं।। रोज नया उपदेश, धर्म-कर्म का दें सभी। खुद इसका परिवेश, जिन्हें नहीं... Hindi · सोरठा छंद 1 33 Share Sudhir srivastava 17 Feb 2025 · 1 min read सोरठा छंद विविध ******** किसे फ़िक्र है आज, अपनों के ही दर्द की। छिपते सारे राज ,जब पीड़ा हो तोषिनी।। किसको कहें गरीब , सब गरीब हैं जब यहां। दुनिया बनी रकीब,... Hindi · सोरठा छंद 27 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 3 Aug 2024 · 1 min read सत री संगत संगत की नह संत, पड्यो माया मोद में। याद करियौ भगवंत, जातो टांणै जीतिया।। © जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया...✍️ Rajasthani · सोरठा छंद 113 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 3 Aug 2024 · 1 min read सोरठौ हुनर करोह हजार, लिखयां सो ही लाभसी। देवै वो दातार, जतन प्रवाणै जीतिया।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️ Rajasthani · सोरठा छंद 172 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 3 Aug 2024 · 1 min read राम रटलै थ्हारी म्हारी छोड़, रचना रटलै राम नै। ठावी मिळ्सी ठौड़, राम रावळै जीतिया।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️ Rajasthani · सोरठा छंद 96 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 3 Aug 2024 · 1 min read मारगियां हैं तंग, चालो भायां चेत ने। मारगियां हैं तंग, चालो भायां चेत ने। जीवण हंदी जंग, जग में दोरी जीतणी।। © जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️ Rajasthani · सोरठा छंद 100 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 3 Aug 2024 · 1 min read सोरठौ बोलें कूड़ करोड़, रिदै कपट रो मानवी। नातौ उणसूं तोड़, जीते हमेस जीतिया।। © जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया...✍️ Rajasthani · सोरठा छंद 102 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 3 Aug 2024 · 1 min read मिनख रो नही मोल, लारे दौड़ै गरत्थ रे। मिनख रो नही मोल, लारे दौड़ै गरत्थ रे। करै धूड़ रो तोल, जगत मांयनै जीतिया।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️ Rajasthani · सोरठा छंद 99 Share जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया 3 Aug 2024 · 1 min read सोरठौ भयहर राखै भांन, सकल जीव संसार रो। सगळा अेक समान, जात भाळै न जीतिया।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया...✍️ Rajasthani · सोरठा छंद 189 Share डाॅ. बिपिन पाण्डेय 19 Jan 2024 · 1 min read सोरठा छंद (सरस्वती वंदना ) माता तुझे प्रणाम,विद्या बुद्धि प्रदायिनी। आऊँ जग के काम,दो मुझको वरदान यह।।1 है कंठ स्फटिक माल,वीणा पुस्तक कर गहे, बैठी मंजु मराल,शुभ्र साटिका बदन पर।।2 करो समन्वित... Hindi · सोरठा छंद 1 1 194 Share बासुदेव अग्रवाल 'नमन' 17 Mar 2021 · 2 min read सोरठा छंद "कृष्ण महिमा" सोरठा छंद "कृष्ण महिमा" नयन भरा है नीर, चखन श्याम के रूप को। मन में नहिं है धीर, नयन विकल प्रभु दरस को।। शरण तुम्हारी आज, आया हूँ घनश्याम मैं।... Hindi · सोरठा छंद 1k Share