■ सीधी-सपाट...
#खरी_खरी... ■ नियति और नीयत...! "पत्थर बरसाना" किसी की "परिस्थितिजन्य मजबूरी"माना जा सकता है। मगर उन्हें "पहले से जुटा कर रखना" और कुछ नहीं, "कुत्सित मंशा" के सिवाय। ऊपर वाला...
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