पागल
📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की ये दुनिया ये लोगबाग ये अपने ये पराये आपको सिर्फ बाहरी तौर बाहरी दिखावे बाहरी शानोशौकत से जानते हैं ये दुनियादारी में लिप्त लोग उस वजन तोलने वाले तराजू की तरह हैं जो आपका वजन तो माप सकते हैं पर आपकी गुणवत्ता को नहीं ….,क्यूंकि गुणवत्ता को मापने के लिए खुद का गुणवान होना जरुरी है और यहाँ तो हमाम में सब निवस्त्र हैं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की किसी भी व्यक्ति के पतन की शुरआत उसके शब्दों -आचार व्यवहार और उसकी वाणी के संयम खोने से शुरू होती है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इतिहास गवाह है की परायों से ज्यादा घाव -जख्म अपनों ने अपनों को दिए हैं पर फिर भी हम उन्हीं अपनों के पीछे पागल रहते हैं …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की इतिहास गवाह है की संपूर्ण सृष्टि पर भीड़ हमेशा स्त्री -धन -दौलत -जागीर के पीछे ही दौड़ी है -पागल हुई है पर एक अच्छा इंसान -इंसानियत वाली आत्मा को जाग्रत करने के उँगलियों पर गिने जाने वाले कुछ लोग ही चले हैं और आश्चर्यजनक ये है की उन चंद लोगों को ये पूरी भीड़ पूजती है -मानती है -नतमस्तक होती है ….!
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
🙏सुप्रभात 🌹
स्वरचित एवं स्वमौलिक
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱