SP52 जो ब्रह्म कमंडल से
SP52 जो ब्रह्म कमंडल से
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जो ब्रह्म कमंडल से निकली उलझी थी शिव की जटाओं में
राजा भगीरथ के तप से उद्धारे सारे सगर पुत्र
अब दूर हताशा करने को संताप जगत के हरने को
अब दिव्य धरा पर बहती है उस गंगा मां का पुत्र हूं मैं
महाराज शांतनु का बेटा अविवाहित रहना है मुझको
इच्छा मृत्यु का वरदान मिला हां मुझको भीष्म प्रतिज्ञा से
12 आदित्य आठ वसु हैं आठवां वसु धरा पर हूं आया
खुद चला नीतियों पर अपनी तब अपने वचन निभा पाया
मेरी इस भीष्म प्रतिज्ञा से लेता है सबक इतिहास अगर
जग में हो जाता नाम अमर हो जाते हैं संस्कार मुखर
सच को जीना सच कह देना कांटों की डगर पर चलना है
विषपाई बनकर जीना है हर पल अंगार निगलना है
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तवsp52