sp,98 तुमको भी भूलेगी पीढ़ी
sp ,98 तुमको भी भूलेगी पीढ़ी
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तुमको भी पीढी भूलेगी तुम पीढ़ी को भूल गये
जिस पर रख कर पांव चढ़े थे उस सीढी को भूल गये
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कोई कनिष्ठ कोई वरिष्ठ पर कोई नहीं करता अनिष्ट
इक आने वाली पीढ़ी है इक जाने वाली पीढ़ी है
इतिहास बनेंगे हम सब ही कोई आगे कोई पीछे
साहित्य की गरिमा मय कृतियां रचने वाली यह पीढ़ी है
सामंजस्य दोनों के बीच बने शाश्वत इतिहास सृजन होगा
गर पाला गया दुर्भाव कहीं अंधियारे का शासन होगा
जिस पर चढ़कर गरिमा आती सामर्थ्य लिए यह सीढ़ी है
खुलकर कहती है अपनी बात यह जाने वाली पीढ़ी है
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
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