Sls-ns लोटा दो बचपन
1 थक गया हु इस बेरोजगारी से अब तो बस यही सोचता हूं कि कोई लोटा दे मेरे बचपन को न कोई ग़म न कोई दूख था बस अपनों का संग था ।।
2 जब भी फ़ाइल लेकर निकलता हूं अपनी मोहल्ले की गलीयो से निरासे से यूं देखते हैं लोग मुझे सब , अब मैं यही सोचता हूं कि कोई लोटा दे मेरे बचपन को जब बैट लेकर निकलता था मोहल्ले से तब लोग कहते थे आज कितने छके मारना है यही तो अपना सचिन है ।।
3 आज दिन भर काम करता हूं तो लोग कहते हैं क्या किया है दिन भर घुमता रहता है और में बस यही सोचता रहता हूं कि कोई लोटा दे मेरे बचपन को।।
4 आज लोगों कि डाट सुन कर हंसना पड़ता है और उन्हे मनाना पड़ता है बस अब मैं यही सोचता हूं कि कि कोइ लोटा दे मेरे बचपन को जहां मेरे रूठने पर सब मुझे मनाने के लिए टोभी चाकलेट लाते थे ।।
5 न जाने कहां गया वह बचपन जो कहीं भी सो जाओ लेकिन आंख मा की गोद में ही खुलती थी ।।