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1 Dec 2023 · 1 min read

self doubt.

self doubt.
ग़ैरों पे कैसे उँगली उठाऊँ मैं,
जब अपने गिरेबान से ही वाक़िफ़ नहीं हूँ।
लोगों को मंज़िलें छूता देख,
लगता है, मैं तो सफ़र के क़ाबिल भी नहीं हूँ।
चलाने दो, जिसे दुनिया चलाना हो,
मैं तो अपने कदमों से ही मुखातिब नहीं हूँ।
कोई क्या मुझे अपनायेगा,
मैं तो ठीक से ख़ुद को ही हासिल नहीं हूँ।

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