बीता पल
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आज बीते पल ने दस्तक दी
कि भूल तेरी थी
जिसे तू अपनी समझा
वो चीज कभी ना तेरी थी
अनछुए एहसास को
छूने की कोशिश की
छु ना सका उसे कोई
लेकिन उसे छूने के लिए
मैंने बहुत कोशिश की
कोशिश दिल की थी
एहसास मन का था
नींद आंखों की थी
सपना दिल का था
जो पलके उठी
तो आंखें खुली
आंखें खुली
तो ये दुनिया मिली
पर इस दुनिया में
वो सोच कहीं ना मिली
जिसकी मुझे तलाश थी
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swami ganganiya
Budhsaini