विनोद सिल्ला Tag: कविता 392 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विनोद सिल्ला 11 Feb 2024 · 1 min read धर्म की खिचड़ी धर्म की खिचड़ी सुबह-सुबह पड़ती है कानों में गुरद्वारे से आती गुरबाणी की आवाज तभी हो जाती है शुरु मंदिर की आरती दूसरी ओर से आती हैं आवाजें अजानों की... Hindi · कविता 1 181 Share विनोद सिल्ला 11 Feb 2024 · 1 min read घाटे का सौदा घाटे का सौदा मैं शोषित मेरी लड़ाई शोषक से जिनकी फिल्में देख-देख कर बड़ा हुआ वो नायक-नायिका मेरे विरुद्ध खड़े हुए तो प्रतीत हुए खलनायक जिसके सुरीले गीत सुन सुन... Hindi · कविता 2 176 Share विनोद सिल्ला 7 Oct 2023 · 1 min read परिवर्तन परिवर्तन हर नया परिवर्तन कर देता है असहज पुरानी लीक पर चलते पांवों को पांव नहीं हैं कसूरवार आदि हैं वे पुरानी राहों के लगेंगे चंद रोज असहज पांव को... Hindi · कविता 3 284 Share विनोद सिल्ला 9 Sep 2023 · 1 min read नाम बदलें नाम बदलें आओ नाम बदलें समस्याओं का नाम समाधान रख दें निठल्लों का नाम विश्राम रख दें अल्लाह का नाम श्री राम रख दें हो सकता है कि हो जाए... Hindi · कविता · हास्य · हास्य-व्यंग्य 1 156 Share विनोद सिल्ला 4 Jan 2023 · 1 min read नवनिर्माण नवनिर्माण पत्थरों और ईंटों में हुआ मुकाबला मची होड़ एक-दूसरे को मुंहतोड़ जवाब देने की पत्थर से ईंट ईंट से पत्थर खूब टकराए टूटी ईंटें क्षतिग्रस्त हुए पत्थर हो जाता... Hindi · कविता 4 214 Share विनोद सिल्ला 16 Dec 2022 · 1 min read मुझमें रह गए मुझमें रह गए तुम मुझसे बिछुड़ कर भी मुझमें रह गए तुम न जा पाए न रह पाए यह बिछुड़ना भी कोई बिछुड़ना नहीं यह रहना भी कोई रहना नहीं... Hindi · कविता 2 215 Share विनोद सिल्ला 3 Dec 2022 · 1 min read बदल गए बदल गए फिर आए हम तेरे शहर में पुराने मकान पुराने प्रतिष्ठान पुरानी दुकान ये थे सब जाने-पहचाने-से कुछ प्लाट तेरी तरह बदल गए जो मकान हो गए। -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 2 2 197 Share विनोद सिल्ला 11 Oct 2022 · 1 min read सबतै बढिया खेलणा मेरी कविता का हरियाणवी अनुवाद अनुवादक -पवन गहलोत सबतै बढिया खेलणा बाळकपण म्हं मेरे ढब्बी माड़ी सी बी नोक-झोंक होण पै मेरा जी दुखाण तई तोड़ दिया करै थे मेरे... Hindi · कविता · हास्य 1 258 Share विनोद सिल्ला 28 Sep 2022 · 1 min read चिरनिन्द्रा चिरनिन्द्रा जीत कर चुनाव हमारे राजनेता सो जाते हैं चिरनिंद्रा में चार वर्ष बाद चुनावी वर्ष में खुलती है इनकी जाग जागते ही लग जाते हैं फिर से साम-दाम-दण्ड-भेद आजमाने... Hindi · कविता 3 242 Share विनोद सिल्ला 22 Aug 2022 · 1 min read मैंने मना कर दिया मैंने मना कर दिया मैंने भाईचारा निभाने से मना कर दिया थी उनकी मनसा मैं उनको भाई बनाऊं वे मुझको चारा । -विनोद सिल्ला Hindi · कविता · लघुकविता 1 300 Share विनोद सिल्ला 11 Jul 2022 · 1 min read शादी शादी समझौतों का पुलिंदा है शादी कहीं पुरुष तो कहीं महिला कर लेती है अधिक समझौते जहाँ समझौते नहीं वहाँ सुनिश्चित है अलगाव । -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 2 254 Share विनोद सिल्ला 30 Apr 2022 · 1 min read लक्ष्य लक्ष्य तीर का अपना नहीं होता कोई लक्ष्य, होता है लक्ष्य धनुर्धर का, कीजिए तय आप तीर हैं या धनुर्धर। -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 2 503 Share विनोद सिल्ला 1 Apr 2022 · 1 min read बख्त के बोल बख्त के बोल भगमा भाणा पहर के, बोलै बिगड़े बोल। तन-मन तो साध्या नहीं, रहा थोबड़ा खोल।। संन्यासी कह आप नै, मोटा सै व्यापार। बडणी गाडी मै फिरै, सुरक्षा दे... Hindi · कविता 1 2 427 Share विनोद सिल्ला 12 Mar 2022 · 1 min read कालीचरण कौशल्य कमालीचे कौशल्य. संपूर्ण कुटुंबाची काळजी घेते. कुटुंबातील सर्वाच्या आवडी- नावडीची काळजी घेते, प्रत्येकाच्या इच्छेची आणि अनिच्छेची काळजी घेते. इतके नियोजनबध्द व्यवस्थापन असते. कमालीची कौशल्यवान असते गृहिणी. तिच्या कौशल्यांचा एकूण मूल्यमापन... Marathi · कविता 2 155 Share विनोद सिल्ला 9 Mar 2022 · 1 min read जवानी जवानी जब आती है जवानी तो इंसान को जमाना याद नहीं रहता जब चली जाती है जवानी जमाने को इंसान याद नहीं रहता -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 242 Share विनोद सिल्ला 7 Mar 2022 · 1 min read समाहित समाहित बीज में नहीं होता समाहित मात्र एक पेड़ एक पौधा एक जीव या एक जन्तु समाहित है इसमें एक पूरी नस्ल एक पूरा युग -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 178 Share विनोद सिल्ला 5 Mar 2022 · 1 min read पेट में दर्द पेट में दर्द जब लकड़ी मैं लाया चुल्हा मैंने जलाया तव्वा मैंने तपाया रोटियां भी तो फिर मैं ही सेकूंगा किसी के पेट में दर्द क्यों? -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 212 Share विनोद सिल्ला 4 Mar 2022 · 1 min read रात रात जिसे नींद नहीं आती जानता है वही कि रात कितनी उबाऊ कितनी तन्हा कितनी काली कितनी लम्बी होती है। -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 419 Share विनोद सिल्ला 3 Mar 2022 · 1 min read युद्ध उपरान्त युद्ध उपरान्त गवाह है इतिहास राजभवन होते हैं गुलजार युद्ध उपरान्त भी करके समझोते निकलते हैं राजभवन से मुस्कराते हुए राष्ट्राध्यक्ष जीते हुए भी हारे हुए भी मुस्कराते हुए चेहरे... Hindi · कविता 199 Share विनोद सिल्ला 3 Mar 2022 · 1 min read जातीय बंधन भोजपुरी अनुवाद - अनुवादक-संतोष पटेल जातीय बन्धन हम सुनत रहिलें अक्सर लोगन से कि जाति के बन्हन ढीला हो गईल बा बाकिर हमरा शहर में हर जाति हर चौंक पर... Bhojpuri · कविता 1 392 Share विनोद सिल्ला 25 Feb 2022 · 1 min read कहाँ जा सका कहाँ जा सका उससे भले हाथ छूटा भले साथ छूटा फिर भी कुछ नहीं छूटा गवाह हैं यादें दिल से दिमाग से कहाँ जा सका? -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 307 Share विनोद सिल्ला 25 Feb 2022 · 1 min read युद्ध युद्ध छोड़ जाता है युद्ध अपने पीछे खंडहर में तब्दील आलिशान इमारतें हंसते-खेलते तबाह हुए परिवारों के यतीम बच्चे विधवा महिलाएं बुढ़ापे की लकड़ी खोए हुए बुजुर्ग युद्ध बंदियों से... Hindi · कविता 223 Share विनोद सिल्ला 24 Feb 2022 · 1 min read स्तुतिगान जारी है स्तुतिगान जारी है वर्तमान में शासक नेता हो गए महलों का स्थान बंगलों ने ले लिया अंगरक्षक गनमैन हुए दरबार हैं आज भी कायम लेकिन भांड नहीं रहे भांड दरबारों... Hindi · कविता 170 Share विनोद सिल्ला 24 Feb 2022 · 1 min read वेलेंटाइन वेलेंटाइन उनका है कहना नहीं है वेलेंटाइन डे हमारी संस्कृति का सच ही तो कहा उसने प्रेम-प्यार नहीं है उनकी संस्कृति उनकी संस्कृति तो सत्ती प्रथा, अग्नि-परीक्षा ऑनर किलिंग जूए... Hindi · कविता 147 Share विनोद सिल्ला 24 Feb 2022 · 1 min read ताकि देवता रहें प्रसन्न ताकि देवता रहें प्रसन्न भेड़िए की ताजपोशी के लिए जरूरत मुताबिक भेड़ें लाई गई भेड़ों ने भेड़ियों की उनकी पुस्तों की जय-जयकार की तालियां बजाई कुछ भेड़ों की दी गई... Hindi · कविता 183 Share विनोद सिल्ला 24 Feb 2022 · 1 min read सरकार ने दिए सरकार ने दिए जनता ने सरकार से मांगी रोजी-रोटी शिक्षा-चिकित्सा जीवन की सुरक्षा संवैधानिक उपचार मौलिक अधिकार सरकार ने दिए बैरिकेड्स धारा 144 लाठी गोली गंदे पानी की बौछार अश्रुगैस... Hindi · कविता 188 Share विनोद सिल्ला 24 Feb 2022 · 1 min read बिना लाभ-हानि बिना लाभ-हानि मोहब्बत न अपेक्षा करती न उपेक्षा करती सिर्फ और सिर्फ करती है समर्पण देती है कुर्बानी बिना लाभ-हानि का विचार किए । -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 194 Share विनोद सिल्ला 22 Feb 2022 · 1 min read व्यर्थ न जाती ऊर्जा व्यर्थ न जाती ऊर्जा मैं और मेरा मौन जीत गये उनके भारी-भरकम जले-कटे शब्द गिरकर औंधे मुंह हार गए हो गई व्यर्थ मेरे विरुद्ध लगाई उनकी सारी ऊर्जा वो गुनगुनाते... Hindi · कविता 1 181 Share विनोद सिल्ला 22 Feb 2022 · 1 min read बदलाव बदलाव लोगों के मुख से सुना जाता है अक्सर नहीं हो रहा बदलाव खड़ा है समाज खड़ी है दुनिया पुराने ढर्रे पर मेरा है मानना हो रहा है बदलाव लेकिन... Hindi · कविता 1 217 Share विनोद सिल्ला 15 Feb 2022 · 1 min read वो बड़े आदमी वो बड़े आदमी उनका पद भी था बड़ा कद भी था बड़ा बंगला भी था बड़ा गाड़ी भी थी महंगी लेकिन बड़े-छोटे निकले वो बड़े आदमी। -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 292 Share विनोद सिल्ला 6 Feb 2022 · 1 min read तुम लेखक नहीं तुम लेखक नहीं सिर्फ तुम ही नहीं तुम से पूर्व भी थी पूरी जमात भांडों की जो करते रहे ता था थै या दरबारों की धुन पर चाटते रहे पत्तल... Hindi · कविता 1 157 Share विनोद सिल्ला 3 Feb 2022 · 1 min read नशा नशा मादक पदार्थों में ही नहीं पद में प्रतिष्ठा में दौलत में भी होता है नशा बहक जाता है इंसान पाकर इन्हें। -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 179 Share विनोद सिल्ला 29 Jan 2022 · 1 min read नींद नींद जब भी नींद ले लेती है अपने आगोश में मन की चाल पड़ जाती है धीमी पलकों के कपाट होने लगते हैं बंद दिल और दिमाग चला जाता है... Hindi · कविता 1 492 Share विनोद सिल्ला 29 Jan 2022 · 1 min read ऊर्जा है उसमें भी ऊर्जा है उसमें भी अगर सृजन उसके बस की बात नहीं तो वो अवश्य ही विनाश करेगा ऊर्जा है उसमें भी कहीं तो जाया करेगा ही -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 350 Share विनोद सिल्ला 28 Jan 2022 · 1 min read ऊर्जा है उसमें भी ऊर्जा है उसमें भी अगर सृजन उसके बस की बात नहीं तो वो अवश्य ही विनाश करेगा ऊर्जा है उसमें भी कहीं तो जाया करेगा ही -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 169 Share विनोद सिल्ला 13 Jan 2022 · 1 min read हामी हामी हर बात की हामी भरने की शर्त मंजूर नहीं भाड़ में जाए तेरी दोस्ती कल टूटती आज टूट जाए अभी टूट जाए -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 2 176 Share विनोद सिल्ला 10 Jan 2022 · 1 min read चाहत चाहत तुम चाहते हो मुझे तो मेरे ऐब मेरी लत मेरे गुण मेरे दोष भी चाहो चाहो तो मुक्कमल चाहो वरना चाहत का स्वांग ठीक नहीं -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 2 2 234 Share विनोद सिल्ला 5 Jan 2022 · 1 min read ईमानदारी से ईमानदारी से सावधान आपके अंग-संग मुखबिर या गद्दार तो नहीं ये हैं वही लोग जो पीढ़ी दर पीढ़ी रहे हैं करते अपना काम ईमानदारी से चाटते हैं जूता अपने आकाओं... Hindi · कविता 3 2 193 Share विनोद सिल्ला 5 Jan 2022 · 1 min read चश्में चश्में विद्यालय की शिक्षा पूरी करके पहुंचते हैं छात्र उच्च शिक्षा के लिए महाविद्यालय में विश्वविद्यालय में किए जाते हैं जहाँ इन छात्रों को चश्मे लगाने के प्रयास कराए जाते... Hindi · कविता 230 Share विनोद सिल्ला 4 Jan 2022 · 1 min read नहीं जानते नहीं जानते हवा के झोंके खुद को बता रहे हैं तूफ़ान वे नहीं जानते झोंका होना बेहतर है तूफ़ान होने से -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 180 Share विनोद सिल्ला 2 Dec 2021 · 1 min read वर्तमान और जीवन वर्तमान और जीवन जन्मते हैं सभी वर्तमान में। करते हैं सभी जीवन की शुरुआत वर्तमान में जीने से। ज्यों-ज्यों होते जाते हैं बड़े खोते जाते हैं अतीत की यादों में... Hindi · कविता 1 492 Share विनोद सिल्ला 22 Oct 2021 · 1 min read आसमानी पुस्तकें आसमानी पुस्तकें नहीं चाहिएं तुम्हारी दिव्य पुस्तकें तुम्हारी पुस्तकें हैं आसमानी मेरी समस्याएं हैं जमीनी नहीं है समाधान मेरी समस्याओं का तुम्हारी आसमानी पुस्तकों के पास। मुझे नहीं चाहिएं तुम्हारी... Hindi · कविता 2 257 Share विनोद सिल्ला 10 Sep 2021 · 1 min read अपना दीपक आप बन अपना दीपक आप बन सूरज अंधेरा उगल रहे हों रोशनी को निगल रहे हों तब कौन राह प्रशस्त करे अपना दीपक आप बन तू क्यूं न खुद को अभ्यस्त करे... Hindi · कविता 3 218 Share विनोद सिल्ला 7 Sep 2021 · 7 min read समझ से परे समझ से परे मरने के बाद स्वर्ग से या फिर नर्क से कोई नहीं आया वापस लौट कर फिर स्वर्ग का मजा नर्क की सजा का वर्णन किसने किया ग्रंथों... Hindi · कविता 1 501 Share विनोद सिल्ला 24 Aug 2021 · 1 min read सबका मालिक एक सबका मालिक एक कह रहा था एक शख्स एक है अल्लाह कह रहा था दूसरा भी सबका मालिक एक एक और भी था जो कह रहा था यही कुछ अन्य... Hindi · कविता 2 267 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2021 · 1 min read समझ से परे समझ से परे मरने के बाद स्वर्ग से या फिर नर्क से कोई नहीं आया वापस लौट कर फिर स्वर्ग का मजा नर्क की सजा का वर्णन किसने किया ग्रंथों... Hindi · कविता 2 2 414 Share विनोद सिल्ला 21 Jul 2021 · 1 min read एक ही शहर में एक ही शहर में जम कर बरसा पानी बरसात की फुहार महल को भायी झुग्गी को रास न आयी महल में मालिक-मालकिन-बच्चे व नौकर खूब नहाए कागज की नाव चली... Hindi · कविता 1 1 325 Share विनोद सिल्ला 21 Jul 2021 · 1 min read सोने के बाद सोने के बाद रात तू भले ही काली हो चांदनी हो डरावनी हो लुभावनी हो छोटी हो लम्बी हो देती हो सुकून देती हो नयी ऊर्जा सोने के बाद -विनोद... Hindi · कविता 325 Share विनोद सिल्ला 20 Jul 2021 · 1 min read तथाकथित श्रेष्ठता तथाकथित श्रेष्ठता मुंडेर को था घमंड अपनी श्रेष्ठता पर देहली पर बड़ी इतराई बड़ी लफ्फाजी की बड़ी तानाकशी की अपनी उच्चता के मनगढ़ंत दिए प्रमाण ताउम्र उसी देहली पर चढ़कर... Hindi · कविता 1 219 Share विनोद सिल्ला 7 Jul 2021 · 1 min read मुहूर्त मुहूर्त हर पल है नया पल हर दिन है नया दिन हर सूर्योदय लाता है नवकिरणें देता है स्फूर्ति हर सूर्यास्त लेता है समेट वर्तमान को कर देता है इतिहास... Hindi · कविता 3 2 292 Share Page 1 Next