संजय कुमार संजू 29 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid संजय कुमार संजू 3 Mar 2024 · 1 min read अवसर अवसर, अवसर, अवसर रहता सदा है, सिर को ढककर। सदा ही ये चुप है रहता, कभी किसी से कुछ न कहता आता है ये सबके पास, लगाकर अपने पाने की... Hindi · Hindi Kavita 2024 · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · कविता 1 58 Share संजय कुमार संजू 18 Feb 2024 · 1 min read मैं विवेक शून्य हूँ मैं विवेक शून्य हूँ या मैं हूँ असमंजस में? या बुद्धिहीन सोच मेरी। जहाँ तक मैं जानता हूँ जहाँ तक मैं सोच रहा। मानस इस धरा पर सदियों से इन... Hindi · Best Poem · Hindi Kavita 2024 · कविता · ग़ज़ल · लेख 2 1 439 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read वीर पुत्र, तुम प्रियतम हे वीरभूमि के वीर पुत्र तुम मैं राह देखती तुम्हारी रोज़। मातृभूमि की रक्षा करने पद खूब मिला तुझे है फौज ।। आस मिलन की लिए हरपल मैं भार्या तुम्हारी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 73 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read हाथ पताका, अंबर छू लूँ। डटकर, अड़ा रहूँ मैं रण पर हार कभी न मानूँगा मातृभूमि का वीर पुत्र हूँ हाथ पताका अंबर छू लूँ। थककर, खड़ा रहूँ न पथ पर पार लक्ष्य कर जाऊँगा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 50 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read पढ़े साहित्य, रचें साहित्य साहित्य समाज का दर्पण साहित्यकारों का समर्पण। साहित्य प्रेरणा साहित्य प्रयास रचनाकारों का आभास नित्य सतत अभ्यास। उजागर जिस तरह आदित्य "सागर" उस तरह साहित्य साहित्य की अनेक विधा रहस्य... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 47 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read "लाचार मैं या गुब्बारे वाला" चढ़ाई वो रामबाजार की था लगा चढ़ने मैं भी गुब्बारे वाला था एक देखा इंच तीन हो जितनी रेखा गुब्बारा बढ़ा था लाया उसने जो देखा न था पहले किसी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 51 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read दो घूंट अद्भूत सहास जगाया, हे मानव! खुद को ही बहकाने का खुशी मना रहा है या गम छूपा रहा जमाने का। रईस इतना हो गया या कारोबार बढ़ा रहा महकाने का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 58 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read आटा लूटा दिया, मैने भी यौवन खातिर तुम्हारी जान के मैं भी तो चाहता था खिलना महकना चाहता था शान से। सखी पवन संग झूला- झूलना हल्की-हल्की बरसात में मस्ती करता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 65 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read सोचा होगा जरुर किसी ने सोचा होगा, इस मिट्टी में कुछ बोना । उसका ही परिणाम था, जो उग रहा, मिट्टी में सोना। जरुर किसी ने सोचा होगा एक दुसरे से दूर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 69 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read चर्चित हो जाऊँ थोड़ा सा चर्चित मै भी हो जाँऊ नही,नही? नही। हो जाँऊ। आवश्यक नही कि,हो चर्चा जीवन निर्वाह का निकले खर्चा थोड़ा सा अर्जित हो जाँऊ नही,नही? नही। हो जाँऊ। असमंजस... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 76 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read शौक या मजबूरी कर्ता कारक, उद्देश्य-लक्ष्य में परिवर्तित। कारण शौक है या मज़बूरी। सामंजस्य , कुछ अजब सा है इंगित। पास ला देता ही है, दुरी। नृप मारे मृग शौक से। थी न... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 73 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read वृक्ष पुकार जीवन मुझमे भी है तुम जैसा, शस्त्र सीने पर मेरे ताड़ते हो, क्यों? पुकारता है वृक्ष , सुन लो मेरी पुकार। जी रहा हूँ मैं , बड़ रहा है आकार।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 67 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read *विभाजित जगत-जन! यह सत्य है।* वेदना, मजबूरी, गुरूर संलिप्त विराजमान, स्तरवार! यह सत्य है। स्तर निम्न का, अनसुनापन है। जियें मध्यम ,आप-अपने में । बड़ा, बड़े का ही बना पड़ा हैं विभाजन, स्तरवार! यह सत्य... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 67 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी नज़र बूरी, लगी मेरे गाँव को हटानी नज़र थी, हट हम गए । चुन लिया, आशियाना शहर को दूर गाँव की उस पनघट से। याद आता वह खेत-खलियांन जोतता हल... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 54 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read माँ स्त्री! माँ रुपा अवतार जगत की रचना ईश्वर ने रची महान है॥१॥ जब यह पाएं पद्दवी मातृत्व की सचमुच बहुत शीर्षस्थ स्थान है॥२॥ अलंकृत दृष्टि पद गहन की सुसज्जित हृदय... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 69 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read कैसे गाएँ गीत मल्हार सुन्दर मन, सुन्दर तन है सुन्दर है इसका रचनाकार। अहंकार, अभिमान का रंग चढ़ा क्यों? जो बिलखती धरा, विचलित होता संसार। अब बदल चुका मानव का व्यवहार अब, कैसे गाएँ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 59 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read तब गाँव हमे अपनाता है आयु छोटी थी किंतु- घर का बड़ा था मैं । फुटे थे भाग्य माथे के छुटा था साया बाप का सिर से। इसलिए छोटी आयु में ही यह सोच के... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 72 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read युवा शक्ति युवा देश का गौरव होता युवा देश का भविष्य। युवा राष्ट्र का निर्माण करता युवा राष्ट्र का निर्णय ।। कैसी आन पड़ी आज देश के युवा पर समस्या। उलझ पड़ा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 48 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read बचपन किस्सा *बचपन* का मुझे याद आता आज भी *बचपन* की याद दिलाता। लाया था मेरे लिए जब नया जूता खुश बहुत था मैं पाकर वह जूता। वह नया लाया था... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 52 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read संबंधो में अपनापन हो खंडित सा लग रहा है संसार ये अस्त-व्यस्त जीव-जगयापन वो अपने लगे नीचा दिखाने अपनो को कैसे कहें सम्बधो में अपनापन हो। देख एक-दुसरे को भाता नही यहाँ किसी का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 72 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read चलते रहना ही जीवन है। कर्म पथ पर आज क्यों? तू थक रहा ' जन' है। कर्मभूमि यह! समझ इसे, गांठ बाँध दें मन में। कहती धरा ,कहता अंबर चलते रहना ही जीवन है ।१।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 74 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read संवाद होना चाहिए बढ़ रही असहिष्णुता आज समाज में क्षीण होती उदारता की भावना समाज में ।१। बढ़ रहा संवाद अब, संवादहीनता की ओर मानस भी बढ़ रहा भिन्नता की ओर।२। है अनेक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 53 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read सुरभित - मुखरित पर्यावरण करता प्रभावित जीवंत, जग-जीवन रचना प्राकृतिक, अनुपम महान जैविक , अजैविक तत्व , तथ्य घटना , प्रक्रिया समुच्चय विज्ञान। आकर्षक सुसज्जित "आवरण" सुरभित -मुखरित पर्यावरण।। संगीत मधुर सुनाती पवन नदियाँ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 79 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read *माँ शारदे वन्दना हे माँ शारदे। हे माँ शारदे। वीणा वादिनी माँ वर दे। मन-मस्तिष्क शून्य पड़ा माँ ज्ञान गंगा की गागर भर दे। श्वेतवर्णी माँ शारदे। वन्दना करुँ माँ, वर दे। स्वर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 91 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read हार हमने नहीं मानी है मैं श्रमिक जब निकला थककर जिस दिन घर द्वार से अपने थे मेरे भी कुछ अदृश्य सपने उठाकर गठरी, दुख की लेकर चाह दूजे सी न थी, सुख देखकर हृदय... Poetry Writing Challenge-2 · 25 कविताएं · Best Poem · कविता 60 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read मौन हूँ, अनभिज्ञ नही *मौन हूँ, अनभिज्ञ नही* पीड़ा, जगत विरह की सहज व अदृश्य नही।१। रचयिता इसका फिर भी मौन है, अनभिज्ञ नही।२। रचना 'मानस' प्रकृति की श्रेष्ठ है, कुत्सित नही।३। मानस सब... Poetry Writing Challenge-2 · 25 कविताएं · कविता 66 Share संजय कुमार संजू 17 Feb 2024 · 1 min read श्रम साधक को विश्राम नहीं श्रम साधक को विश्राम नहीं खूब, देखी इसकी साधकी।। श्रम का फल मीठा होए साधक, श्रम से इसे बोए। साधना में इसकी विराम नहीं श्रम साधक को विश्राम नहीं ।।... Poetry Writing Challenge-2 · 25 कविताएं · Best Poem · कविता 69 Share संजय कुमार संजू 18 Jun 2023 · 1 min read Happy Father Day, Miss you Papa #पापा जब रोज सुबह उठते थे, तो हमे उनके बिस्तर मे घुस कर सो जाने मे बड़ा आनंद आता था। लेकिन आज वो हमेशा के लिए सो गये, बिना बिस्तर... Hindi · Father · Father Special Poem · Father's Day · Papa Love 1 437 Share संजय कुमार संजू 15 Jun 2023 · 1 min read जमाना गुजर गया उनसे दूर होकर, जमाना गुजर गया उनसे दूर होकर, किंतु किस्मत का खेल देखो, उन्हें ऐसे ही याद करना अच्छा लगता है। और मिला दिया किस्मत ने अगर फिर से तो पता नहीं,... Quote Writer 2 473 Share