Rishi Singh "Goonj" Language: Hindi 47 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rishi Singh "Goonj" 6 Sep 2022 · 1 min read हे प्रिये !! हे प्रिये!! तुम मेरे लिए, मीत हो, गीत हो, संगीत हो, जीत हो, तुम दिन हो, रात हो, मेरे जज़्बात हो, कागज़ तुम्ही, कलम तुम्हीं, तुम्हीं मेरे अल्फ़ाज़ हो, तुम... Hindi · कविता 159 Share Rishi Singh "Goonj" 7 May 2022 · 1 min read ~~ काल ~~ भयभीत सा तू क्यों बैठा है, अब उठ और फिर कर विचार, तू तुच्छ नहीं ये समझ ज़रा, फैलाकर तन बन विशाल, क्यों खोता तू अपना एहम, ये जीवन तेरा... Hindi · कविता 126 Share Rishi Singh "Goonj" 13 Feb 2022 · 1 min read ख़बर ~~ ~~~~~ उस गहन स्याह अंधकार में, मेघ छाए थे घनघोर,आकाश में, गिरी गाज कौंधा वो ग्राम, दिखा रौशनी में एक इंसान, उस गीली मिट्टी में आती, उसके कदमों की आवाज़,... Hindi · कविता 216 Share Rishi Singh "Goonj" 8 Feb 2022 · 1 min read शाम सुकूँ है ~~~ एहसासों की बहती हुई नदी के किनारे, पथरीली ज़िन्दगी की ज़मी पर बैठकर, एकटक देखता हूँ उस आसमान को, जो कभी सुनहरे, कभी गुलाबी से रंग में, रंग जाता है,... Hindi · कविता 229 Share Rishi Singh "Goonj" 2 Feb 2022 · 1 min read सीमा के पार ~~ सोया था मैं नींद के चादर को ओढ़कर, और स्वप्नों की रस्सी से जकड़ा हुआ था, चांद तारे भी थे सारे, नींद से बेबस बड़े, और थे इंतज़ार में, कब... Hindi · कविता 173 Share Rishi Singh "Goonj" 29 Jan 2022 · 1 min read ~~ काल ~~ ~~~~~~~~~ भयभीत सा तू क्यों बैठा है, अब उठ और फिर कर विचार, तू तुच्छ नहीं ये समझ ज़रा, फैलाकर तन बन विशाल, क्यों खोता तू अपना एहम, ये जीवन... Hindi · कविता 235 Share Rishi Singh "Goonj" 28 Jan 2022 · 1 min read वो छाँव •• ~~~~~ वो छाँव मुझे अक्सर याद आ जाती है, जिसने मुझे हमेशा बचा के रखा, सुख हो या दुख,मुझे हँसा के रखा, जब बचपन में कभी गर्मी में, वो धूप... Hindi · कविता 1 2 212 Share Rishi Singh "Goonj" 27 Jan 2022 · 1 min read किताब ~~ कम ना समझ तू इन किताबों की 'गूंज' को, ज़माने के तजुर्बों को इसने, कैद करा है, कभी खोल कर देख वो तिलिस्म, जो छुपा है इसमें, प्रेम,विरह,धोखा,पैसा,ज्ञान,भगवान सब लिखा... Hindi · कविता 224 Share Rishi Singh "Goonj" 26 Jan 2022 · 1 min read मायका ~~ सजकर लाल जोड़े में, लगाकर माथे पर बिंदी, साथ में है वो साजन के, चलती,ठहरती, सहमती सी, पैरों में जैसे बंधी हो बेड़ी, पग पग चलना अब भारी था, सर... Hindi · कविता 218 Share Rishi Singh "Goonj" 25 Jan 2022 · 1 min read चांद की थाल बचपन से मैंने हर रोज़, उस चाँद को देखा है, है चमकता और दाग वाला, पर कितना अनोखा है, हर रात माँ चाँद दिखा कर, खाना हमें खिलाती थी, और... Hindi · कविता 241 Share Rishi Singh "Goonj" 24 Jan 2022 · 1 min read गरीबी ~ माँ-माँ की बालक ने, जो आवाज़ लगाई थी। सुनकर माता भागी-भागी , बालक के पास आई थी। दयनीय आँखों से जो, बालक ने माँ की ओर देखा था। उसे उठाया... Hindi · कविता 238 Share Rishi Singh "Goonj" 23 Jan 2022 · 1 min read मैने देखा उसे..... मैंने देखा उसे, इस ओर आते हुए, गाड़ियों के बीच से, औ' शीशों को खटखटाते हुए। रंग काला था,बदन मैला सा था, फटे पुराने कपड़े औ' कंधे पे थैला सा... Hindi · कविता 237 Share Rishi Singh "Goonj" 22 Jan 2022 · 1 min read दीप और अंधकार ~ आज कलयुग के बाद धरती पर, जब अन्धकार था छा गया, बोली धरती-"हे दीप! अब तेरा प्रकाश कहाँ गया?" आकाश भी रोया और बोला-"सूरज भी छिप गया कहीं, पहले क्षितिज... Hindi · कविता 201 Share Rishi Singh "Goonj" 21 Jan 2022 · 1 min read धड़कन •• क्या सुना है तुमने कभी... उन धड़कनों को, जो मेहनत और पसीने के दम पर धड़कतीं हैं, वो धड़कनें जो जब चलतीं हैं तो.. समाज सारा ज़िंदा रहता है, फावड़े... Hindi · कविता 204 Share Rishi Singh "Goonj" 21 Jan 2022 · 1 min read इश्क़ ~~ तेरे चेहरे पे ऐसा नूर था, जन्नत को भी तुझ पर गुरूर था। बेजान भी उठ खड़े हो जाते तुझे देखकर, तेरी आँखों में कोई जादू तो ज़रूर था। तेरे... Hindi · शेर 178 Share Rishi Singh "Goonj" 20 Jan 2022 · 1 min read ताबूत ~ ज़िन्दगी कब छोड़ जाए साथ, बिना किसी सबूत.... रह जाता है बस दफन ज़मीन में, एक लाश और ताबूत.... ©ऋषि सिंह "गूंज" ◆◆ Hindi · शेर 223 Share Rishi Singh "Goonj" 20 Jan 2022 · 1 min read मिज़ाज ~~ मिज़ाज बदलता है उनका..बदल जाने दो, क्यूँ हम उनकी बातों का..हर दम हिसाब रखें, मोहब्बत है कहकर रुलाते है रोज़, मुस्कुराने को अब हम कितने नक़ाब रखें.. जलता है दिल... Hindi · कविता 268 Share Rishi Singh "Goonj" 19 Jan 2022 · 1 min read ज़िन्दगी की किताब यूं तो लिखते गए हम काफी कुछ, ज़िन्दगी की किताब में, और पन्नों में दर्ज होते गए , किस्से, शब्दों के लिबाज़ में, कोई मुड़ गया सफ़हा, कितने ही फट... Hindi · कविता 172 Share Rishi Singh "Goonj" 18 Jan 2022 · 1 min read ~ रात सुकूँ है ~ ये मेरी आँखें आंसुओं को छिपाए, ये मेरा बदन, जीवन के बोझ उठाये, जब आकर बिस्तर पर, कुछ पल लेटता है, सारे अरमान निकलकर तब, सिरहाने खड़े हो जातें हैं,... Hindi · कविता 254 Share Rishi Singh "Goonj" 17 Jan 2022 · 1 min read ~ बंद किताब ~ कुछ ऐसी थी कहानी, ज़िन्दगी की किताब में, मैं क्या हूँ ये समझने में कुछ वक़्त लग गया, लिखे थे डायलाग जो, वो मैं बोला कुछ और, फिर बिखरे थे... Hindi · कविता 1 571 Share Rishi Singh "Goonj" 16 Jan 2022 · 1 min read रंग ~ °°°°°•••••••°°°°° सुना है, देखा है, अक्सर उड़ जाते हैं, रंग कपड़ों के, जब रखते हैं धूप में, तपते हैं गर्मी में, मजबूर से सारा दिन, सूखने की आस में, खोते... Hindi · कविता 381 Share Rishi Singh "Goonj" 16 Jan 2022 · 1 min read अपंग ~~~~~~~ फड़क रहा हैं अंग अंग ; फुंफकार भर रहा भुजंग, नेत्र विशाल, रौद्र रूप ; मुख उगल रहा अग्नि प्रचंड, भुजा चार, काल सम ; तलवार, कटार, त्रिशूल, दंड,... Hindi · कविता 355 Share Rishi Singh "Goonj" 15 Jan 2022 · 4 min read प से पैसा ~~ आइये आपको लेकर चलते हैं आज एक गांव में. नाम है मदनपुरा गांव. यूं तो ये एक छोटा सा ही गांव है करीब दो सौ या तीन सौ ही घर... Hindi · लघु कथा 2 639 Share Rishi Singh "Goonj" 15 Jan 2022 · 1 min read बेजान कर गया वो ~~~~ मेरी रूह, मेरे जिस्म, मेरे दिल पे, ऐसा कमाल कर गया वो, जब गया सब ले गया, रूह निकली औ' बेजान कर गया वो... ◆◆©ऋषि सिंह "गूंज" Hindi · शेर 396 Share Rishi Singh "Goonj" 15 Jan 2022 · 1 min read ओढ़नी ओढ़नी ~~~~~~~~~~~ रात दौड़ती है रोज़, उन अनजान गलियों में, किसी सन्नाटे का डर, जैसे पसरा है वहाँ, चाँद की रोशनी में कोई क्या देखेगा उसे, तमाशबीन तारों का भी,एक... Hindi · कविता 1 394 Share Rishi Singh "Goonj" 15 Jan 2022 · 1 min read नींव ••••••••••••••••••• उस मकां की हर एक ईंट से लहू निकला , जब उसकी नींव को बेरहमी से काटा गया था, बंट गए थे कमरे, घर का कोना कोना, तेरे मेरे... Hindi · कविता 217 Share Rishi Singh "Goonj" 14 Jan 2022 · 1 min read ज़रा सा सब्र रखना था.. कभी किसी ज़माने, बड़ी आसानी से मिला करता था, लोगों के दिलों में और, जेबों के किनारे, वो 'सब्र' अक्सर दिखा करता था, पैसे कमाने और परिवार चलाने में, प्यार... Hindi · कविता 2 153 Share Rishi Singh "Goonj" 14 Jan 2022 · 1 min read याद आता है °°°°°°°°°°°° जब जब मैं रूठता हूँ, ये शहर भी रूठ जाता है, मनाता था जो मुझे, मेरा वो गांव याद आता है, वो यार भी कहाँ जो गम में, साथ... Hindi · कविता 170 Share Rishi Singh "Goonj" 14 Jan 2022 · 1 min read सीप के मोती ••••••••••••••••••••• ज़िन्दगी के इस समंदर में मुझसे टकरातीं, ये वक़्त की लहरें, झकझोर देती हैं, मेरी हिम्मत, तोड़ देती है मेरे साहस को, फिर भी डूबते हुए उस गहराई में,... Hindi · कविता 290 Share Rishi Singh "Goonj" 13 Jan 2022 · 1 min read नारी ~~~~~~~~ जली है ताउम्र वो, खुद में अनेकों राज़ दफनाए है, चली है वो काँटों पर फिर भी, नरगिस बन मुस्काई है, गुज़ार दी रातें भूखे पेट, पर बच्चों को... Hindi · कविता 200 Share Rishi Singh "Goonj" 12 Jan 2022 · 1 min read ◆◆ छाँव ◆◆ ••••••••••••• छाँव, देखी है सभी ने, होती है, सांवली सी, अक्सर धूप में, दिख जाती है,साथ सभी के, कुछ छोटी,कुछ बड़ी, टेढ़ी मेढ़ी और कुछ गोल सी, वो छाँव जो... Hindi · कविता 214 Share Rishi Singh "Goonj" 12 Jan 2022 · 1 min read दुआएं~~~ °°°°°°°°°°°° सोचते है हम कि, वक़्त रहते सब कर लेंगे, जो सपने देखे थे हमेशा, सच उनको कर लेंगे, अरमान तो दिल में हज़ार होते हैं हमारे, और सोचते हैं,ख्वाहिशों... Hindi · कविता 159 Share Rishi Singh "Goonj" 11 Jan 2022 · 1 min read अन्तरिक्ष पार ◆◆ अन्तरिक्ष पार •••••••••••••••• क्या मेरे ये दो नेत्र,देख सकतें हैं.. इस वायु, मेघ, अम्बर के ऊपर, चाँद, सितारों और ग्रहों के पार, जहां ना मोह है, ना विक्षोभ है, ना... Hindi · कविता 165 Share Rishi Singh "Goonj" 11 Jan 2022 · 1 min read कलयुगी महाभारत ~~ कलयुगी महाभारत •••••••••••••••••••••••• अरे किस पुस्तक में देख रहे हो, कहानियां पुरुषार्थ की, ये कलयुग की नियमावली है, कुछ पंक्तियां हैं स्वार्थ की, शकुनि बन बैठे हैं नेता, द्यूतक्रीड़ा यूं... Hindi · कविता 2 378 Share Rishi Singh "Goonj" 10 Jan 2022 · 1 min read मुँहनोचवा (हास्य कविता) #मुँहनोचवा °°°°°°°°°°°°°°°°° एक रोज सुबह अख़बार उठाकर, देखी एक ज़ोरदार ख़बर, ये कैसा हल्ला मच गया भइया, मुँहनोचवा उठा ले गया था गइया, ये कैसी अजीब आफ़त है हाय, अब... Hindi · कविता 573 Share Rishi Singh "Goonj" 10 Jan 2022 · 1 min read दरवाज़ें ~ दरवाज़ें ••••••••••• देखा, देखा तुमने इन गलियों में, कौन दौड़ रहा है,किसके पीछे, कभी बंदूक चलाता, कभी तलवार म्यान से खींचे, वो चिल्ला रहा बचाने को,हाथ फैलता मदद मांगने को,... Hindi · कविता 224 Share Rishi Singh "Goonj" 10 Jan 2022 · 1 min read कवि का राज़ ••••• (हास्य कविता)* कवि का राज़ (हास्य कविता) °°°°°° जैसे ही लिखने बैठा था मैं, कविता एक अनोखी, कि तभी आ गए मेहमान बनकर, हमारे एक पड़ोसी, बोले भैया बड़ी अच्छी अच्छी कविता... Hindi · कविता 358 Share Rishi Singh "Goonj" 10 Jan 2022 · 1 min read ज़िद °°° ••••• बहुत ज़िद्दी तुम निकले अपने मिज़ाज़ से, कभी हमें भी समझा होता, इत्मिनान से .... ना यूँ तकरार होती,ना ऐसे जुदा होते, कभी जो देख लिया होता, हमे भी... Hindi · कविता 1 207 Share Rishi Singh "Goonj" 10 Jan 2022 · 1 min read बचपन के दिन रात में जब नींद आती थी, औ' छत पे सोने जाते थे, खुले आसमां और मंद हवा में, हम तारे गिनते रह जाते थे। चाँद की उन पुरानी, सफेद कतरनों... Hindi · कविता 1 260 Share Rishi Singh "Goonj" 9 Jan 2022 · 1 min read घर वाले आ रहे हैं सुनो घरवाले आ रहें हैं,जल्दी छुपा दो, ये नाराज़गी, ये नफरत कहीं दबा दो, बहुत अरसों बाद वो आयेंगें यहां, उनसे प्यार से मिलेंगे ये सबको बता दो। क्यों बंद... Hindi · कविता 1 214 Share Rishi Singh "Goonj" 9 Jan 2022 · 1 min read गुब्बारे वाला गुब्बारे वाला -----–---------------- डग मग डग मग डग मग, डोल रही है वो पथ पर, नगर नगर और डगर डगर, घूम रही है चक्कर पर, पैरों में चप्पल पहने है,... Hindi · कविता 1 2 373 Share Rishi Singh "Goonj" 9 Jan 2022 · 1 min read कागज़ के सपने ये ज़िन्दगी की किताब मेरी, कुछ किस्से पराये, कुछ अपने, ये स्याह भरी रातें कलम मेरी, कहानियां बुनते, ये मेरे कागज़ के सपने, कभी शब्द खुशियों के मिलते, कभी ग़म... Hindi · कविता 2 217 Share Rishi Singh "Goonj" 9 Jan 2022 · 4 min read अनरूपा "मुबारक हो सर् आपके बेटी हुई है", ये कहते हुए नर्स ने उस नवजात बच्ची को सुंदरम की गोद में रख दिया. सुंदरम ने खुशी से उस बच्ची की ओर... Hindi · लघु कथा 202 Share Rishi Singh "Goonj" 9 Jan 2022 · 1 min read ठिठोली माँ आज हँस ले ना तू भी, बहुत बरस हुए मुस्काई ना तू, बिता दिया जीवन बन त्यागी, खुशियां भी कुछ पाई ना तू, थक जाती थी, फिर भी भागी,... Hindi · कविता 242 Share Rishi Singh "Goonj" 8 Jan 2022 · 2 min read अकाल एक दिन पड़ा अकाल, मेरे पास के गांव में, मिट रहा था सबका जीवन, हर छाँव के साथ में, तड़प रहे पशु भूख से और रोते बालक भी, सूख गए... Hindi · कविता 346 Share Rishi Singh "Goonj" 8 Jan 2022 · 1 min read मदिरालय धर्म-जाति सब लड़ रहे थे, सुहाग किसी का लुट रहा था, नवजातों का खून था बिखरा, कहीं आश्रय किसी का टूट रहा था, नफरत की इस आंधी में टूटे थे,... Hindi · कविता 400 Share Rishi Singh "Goonj" 8 Jan 2022 · 1 min read ख्वाहिशें रात के तीसरे पहर, जब आंख खुली, देखा कुछ पुरानी ख्वाहिशें खड़ी थीं, वक़्त की दहलीज़ लांघ कर आयीं थीं, मैं सोया हुआ था,मुझे जगाने आयीं थीं, मेरी कुछ ख्वाहिशें,मेरे... Hindi · कविता 262 Share