Rishi Saroj 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rishi Saroj 9 May 2020 · 1 min read चलो अब गांव जाते हैं वहाँ वो पेड़ बरगद का,वहाँ वो ताड़ भी होगा, ली थी डुबकियां जिसमे,वहाँ तालाब भी होगा। चिड़ियाँ चहचहाती थी, जहाँ हर रोज आंगन मे, मेंढक शोर करते थे, जहाँ हर... Hindi · कविता 2 2 306 Share Rishi Saroj 8 May 2020 · 1 min read मजदूर ही तो थे.... आँखे भरी आशाओं से,सर पे लदी संदूक है बाजू मे बच्चा रो रहा और कड़कड़ाती धूप है। होठों पे घर की रट लगी है, प्यास भी अनकूत है, जेब भी... Hindi · कविता 2 4 390 Share