Comments (2)
9 May 2020 07:27 PM
इस शहर की हवा अब रास नहीं आती है।
यहां तो हर दिन झमेले हैं नहीं खुशियों के मेले हैं।
मुझे उन बीते दिनों की याद आती है।
जो मुझे ओ मेरे प्यारे गाँँव तेरे पास लाती है।
धन्यवाद !
इस शहर की हवा अब रास नहीं आती है।
यहां तो हर दिन झमेले हैं नहीं खुशियों के मेले हैं।
मुझे उन बीते दिनों की याद आती है।
जो मुझे ओ मेरे प्यारे गाँँव तेरे पास लाती है।
धन्यवाद !
वाह..बहुत सुंदर रचना आदरणीय।कृपया मेरी कविता “अमर प्रेम (सवैया) ” का अवलोकन कर एक वोट देकर सहयोग की कृपा करें।।