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8 May 2020 08:31 AM

मजदूर ही नहीं मजबूर भी जो है,उसका यही तो कसूर है, कहने को सब अपने हैं,पर दिखते नहीं। यही इनकी व्यथा भी है, और यही इनकी कथा भी। आपकी भावनाओं को प्रणाम।

8 May 2020 11:42 AM

धन्यवाद जी

अति सुंदर भावपूर्ण प्रश्नवाचक प्रस्तुति।

धन्यवाद !

8 May 2020 11:43 AM

धन्यवाद जी

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